West Bengal

जीआरएसई ने पानी के अंदर हथियार और संचार प्रणाली क्षेत्र में विविधता लाने के लिए समझौता किया

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई)

कोलकाता, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । पानी के अंदर हथियारों और संचार प्रणालियों के क्षेत्र में विविधता लाने के उद्देश्य से गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने बुधवार को कोलकाता में अपोलो माइक्रो सिस्टम्स लिमिटेड (एएमएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

हैदराबाद स्थित एएमएस मिशन-क्रिटिकल अनुप्रयोगों के लिए कस्टमाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर समाधान के डिजाइन और विकास में सक्रिय है। कंपनी के ग्राहकों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सहित कई एयरोस्पेस, रक्षा और गृह सुरक्षा क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं।

जीआरएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समझौते के तहत जीआरएसई और एएमएस संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, सह-उत्पादन और उन्नत उपकरणों की आपूर्ति में सहयोग करेंगे, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, केंद्रीय और राज्य सरकारी एजेंसियों, साथ ही नागरिक और निर्यात बाजार की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

उन्होंने यह भी बताया कि जीआरएसई पहले ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को ‘जलदूत’ नामक एक स्वायत्त सतह पोत (ऑटोनॉमस सरफेस वेसल) प्रदान कर चुका है और एक स्वायत्त पानी के नीचे वाहन (ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल) विकसित कर रहा है, जो जल्द ही डिलीवरी के लिए तैयार होगा। इसके अलावा, जीआरएसई नौसेना के लिए सतह तोपों (नेवल सरफेस गन्स) के निर्माण में भी कदम रख चुका है और नौसेना ने ऐसे 10 सिस्टमों का ऑर्डर दिया है।

बुधवार को हुए इस समझौते पर जीआरएसई के निदेशक (शिपबिल्डिंग) कमांडर शांतनु बोस (सेवानिवृत्त) और एएमएस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक करुणाकर रेड्डी बड्डम ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कमोडोर पी आर हरी (सेवानिवृत्त), भारतीय तटरक्षक बल के पूर्व डीआईजी सुब्रतो घोष और दोनों कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

अधिकारी ने कहा कि यह साझेदारी दोनों संगठनों की मुख्य क्षमताओं का लाभ उठाएगी और इन प्रणालियों के घटकों और उप-असेंबलियों के निर्माण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी। एमओयू के तहत मौजूदा प्रणालियों के आधुनिकीकरण और उन्नयन पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिससे बदलती परिचालन आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान तैयार किए जा सकें। इस सहयोग के माध्यम से जीआरएसई आत्मनिर्भर भारत पहल को मजबूती प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रहा है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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