Chhattisgarh

जैन धर्म में गलती की क्षमा मांगने की महान परंपरा : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

मुख्यमंत्री  साय जैन समाज के सिद्धिशिखर विजय उत्सव में हुए शामिल
मुख्यमंत्रीसाय एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने तपस्वियों का किया सम्मान

रायपुर, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मंगलवार को जैन समाज द्वारा आयोजित सिद्धितपकी पूर्णहुति पर सिद्धिशिखर विजय उत्सव में बूढ़ापारा स्थित सरदार बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में शामिल हुए। इस मौके पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जैन समाज में तपस्या की परंपरा है, ऐसे तपस्या से छत्तीसगढ़ में खुशहाली आएगी और सुख-समृद्ध होगा। ग्यारह साल के बेटे, तेरह वर्ष की बेटी से लेकर 80 वर्ष की माता सहित कुल 114 तपस्वियों ने 44 दिन तक जैन परंपरा के अनुसार 4500 तरह के व्रत रखकर कठोर साधना की। जिनका आज हमने सम्मान किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह सहित अतिथियों ने तपस्वियों का अभिनंदन किया।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जैन समाज के संत-मुनि बिना चरण पादुका के हजारों मील पैदल यात्रा करते हैं। खान-पान का सयंम रखकर मानव समाज के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्म एक ऐसा धर्म है, जहां पर गलतियों को स्वीकार करने और क्षमा मांगने की महान परंपरा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु राम के ननिहाल और माता कौशल्या की पुण्य भूमि पर पधारे संतों के चरणों को शत-शत नमन करता हूं। छत्तीसगढ़ को उनका आशीर्वाद हमेशा से मिलते रहा है, मैं ऐसी कामना करता हूं कि उनके आशीर्वाद से प्रदेश में खुशहाली आए हर घर में सुख-समृद्धि रहे।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ को संतो का आर्शीवाद हमेशा से मिलता रहा है। संतों की प्रेरणा से यह आध्यात्मिक तपस्या संभव हुई। गुरूओं के आर्शीवाद से हमेशा ताकत और प्ररेणा मिलती रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रभु राम का ननिहाल हमेशा से शांति का टापू रहा है और यहां सुख-समृद्धि रहे ऐसी कामना है। ऐसे तपस्वी के बीच में आने का आज सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जैन समाज के तपस्वियों को बहुत-बहुत बधाई। श्री अग्रवाल ने कहा कि उनकी तपस्या से छत्तीसगढ़ की धर्मभूमि, कर्मभूमि सुखशाली, समृद्धिशाली बने। सभी संतों के प्रवचनों को जीवन में आत्मसात करें।

जैन धर्म अहिंसा और करूणा में विश्वास रखता हैः इस अवसर पर जयपाल विजयजी महाराज ने कहा कि जैन धर्म अहिंसा और करूणा में विश्वास रखता है। उपभोक्तावाद को एक प्रकार की हिंसा मानता है। हमारे संत-मुनियों की तपस्या विश्व और राष्ट्र के कल्याण के लिए होती है। जैन धर्म के अचार-विचारों में एवरेस्ट की उंचाई और अंटलंटिक की गहराई भी है। उन्होंने कहा कि 114 तपस्वियों में अपनी कठिन तपस्या से सिद्धि शिखर पर विजय पताका लहराई है।

इस अवसर पर प्रियदर्शी विजय जी महाराज और तीर्थ प्रेम विजय जी महाराज भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में विधायक राजेश मूणत, गजराज पगारिया, स्वरूप चंद जैन भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक समाज एवं चर्तुमास समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर सकल जैन समाज के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे।

(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

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