हमीरपुर, 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । थाना सुमेरपुर क्षेत्र के ग्राम टेढ़ा के एक परिवार में पुश्तैनी जमीन के विवाद में बाबा की मौत के अगले दिन शनिवार को नाती ने अपने चाचा की नाइंसाफी से आहत होकर गांव बाहर ट्रांसफार्मर के सपोर्ट वायर से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब ग्रामीणों की नजर पहुंची तो युवक का शव फांसी से झूल रहा था, सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।
जानकारी के मुताबिक टेढ़ा गांव निवासी लखना खंगार पुश्तैनी 30 बीघे जमीन का मालिक था। उसके रामबहोरी खंगार और कालीचरण दो पुत्र है। पत्नी की मौत के बाद राम बहोरी अर्धविक्षिप्त सा रहता है। शुक्रवार को इनके पिता और मृतक नाती के बाबा लखना की मौत हो गई। शाम को पुश्तैनी जमीन के बंटवारे को लेकर कालीचरण और रामबहोरी के 35 वर्षीय इकलौते बेटे प्रमोद के बीच जमीन को लेकर विवाद की स्थिति बन गई। प्रमोद की पत्नी सुमन ने बताया कि ससुर रामबहोरी के अर्द्धविक्षिप्त होने का फायदा चचिया ससुर कालीचरण ने उठाते हुए तीन बीघा जमीन पूर्व में बेच दी थी और 20 बीघे का बैनामा अपने नाम करा लिया था। सिर्फ सात बीघा जमीन बची, जो उनके परिवार का भरण-पोषण का जरिया थी।
कल बाबा लखना की मौत के बाद कालीचरण ने सात बीघा जमीन में भी हिस्से का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसे लेकर विवाद की स्थिति खड़ी हो गई। इसी बात से पति प्रमोद मानसिक तनाव के शिकार हो गए और उन्होंने शनिवार को गांव के बाहर ट्रांसफार्मर के सपोर्ट वायर में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सुमन का कहना है कि उसके पति की मौत के जिम्मेदार चचिया ससुर कालीचरण हैं। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और मामले की गहराई से छानबीन शुरू कर दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामला संदिग्ध बताया जा रहा है। इस घटना का पर्दाफास पीएम होने के बाद पता चलेगा।
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(Udaipur Kiran) / पंकज मिश्रा