RAJASTHAN

धर्मसंस्थापनार्थाय पुस्तक का भव्य लोकार्पण

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जयपुर, 8 जून (Udaipur Kiran) । प्रभु दयाल चतुर्वेदी स्मृति समिति के तत्वावधान में रविवार को लेखक एवं संपादक कन्हैया लाल चतुर्वेदी की बहुचर्चित पुस्तक ‘धर्मसंस्थापनार्थाय’ का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया।

इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। लोकार्पण समारोह में नाथ सम्प्रदाय आश्रम (सांभर) के प्रमुख पूज्य योगी रमण नाथ, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक पद्मश्री डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी तथा हरियाणा सरकार के राज्य सूचना आयुक्त प्रदीप कुमार शेखावत ने भी सहभागिता की।

अपने संबोधन में राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर ने कहा कि ‘धर्मसंस्थापनार्थाय’ न केवल भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों, बल्कि धर्म और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के ऐतिहासिक, दार्शनिक एवं सामाजिक पक्षों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आरंभिक संघर्षों और संगठन विस्तार की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पुस्तक संघ कार्य के प्रति आस्था और जागरूकता उत्पन्न करने वाली है। उन्होंने कहा कि संघ तपस्या से खड़ा हुआ है और उसके स्वयंसेवकों ने अपने जीवन से यह प्रमाणित किया है। यह पुस्तक उसी तपश्चर्या का लेखा-जोखा है।

राज्यपाल ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार और गुरुजी गोलवलकर के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि पुस्तक उनके संघर्षों और दृष्टिकोण को समझने का अवसर देती है। उन्होंने युवाओं से संघ साहित्य पढ़ने और शाखाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण से जुड़ने का आह्वान किया।

पद्मश्री डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा, “लेखन एक कठिन साधना है, और मंच से बोलना देवताओं को भी कठिन लगता है। कन्हैया लाल जी ने इस पुस्तक के माध्यम से अपने ‘मनुष्य होने’ का कर्तव्य निभाया है।” उन्होंने इसे प्रेरणास्पद एवं ऊर्जा देने वाली कृति बताया।

लेखक कन्हैया लाल चतुर्वेदी ने बताया कि यह पुस्तक धर्म और राष्ट्रीयता के अंतर्संबंध को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि धर्म और ‘रिलिजन’ समानार्थी नहीं हैं। अंग्रेजों ने षड्यंत्रपूर्वक हमारे धर्म को कमजोर करने का प्रयास किया, जिसका प्रतिकार संघ ने किया। संघ का कार्य धर्म की स्थापना से जुड़ा हुआ है।” उन्होंने बताया कि पुस्तक में संघ का इतिहास, उसके सिद्धांत और कार्यप्रणाली का संक्षिप्त विवरण भी प्रस्तुत किया गया है।

नाथ आश्रम के योगी रमण नाथ ने अपने विचारों में धर्म स्थापना को न्याय और अनुशासन से जोड़ते हुए कहा कि भगवान राम और श्रीकृष्ण ने समाज में धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अधर्म का नाश किया, जो आज भी प्रासंगिक है।

हरियाणा के राज्य सूचना आयुक्त प्रदीप शेखावत ने कहा कि यह पुस्तक न केवल युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी, बल्कि भारतीय समाज में विचार-चिंतन के क्षेत्र में एक सशक्त हस्तक्षेप भी सिद्ध होगी।

इस अवसर पर जयपुर सांसद मंजू शर्मा, पूर्व सांसद रामचरण बोहरा, विधायक गोपाल शर्मा, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, नगर निगम जयपुर ग्रेटर के उपमहापौर पुनीत कर्णावट, रवि नैय्यर सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / अखिल

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