हिसार, 20 मई (Udaipur Kiran) । सर्व कर्मचारी संघ से संबंधित हरियाणा विद्यालय अध्यापक
संघ ने आरोप लगाया है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पेंशन संबंधी नीतियों पर दोहरा
रवैया अपनाया जा रहा है, जो निंदनीय है। संगठन ने कहा कि सरकार द्वारा सांसदों व विधायकों
को पुरानी पेंशन दी जा रही है और प्रत्येक टर्म के लिए अलग अलग पेंशन दी जा रही है,
वहीं अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा सरकारी सेवा में लगाने वाले कर्मचारियों और शिक्षकों
को पुरानी पेंशन स्कीम से वंचित रखा जा रहा है।
संगठन के जिला प्रधान प्रमोद जांगड़ा, जिला वरिष्ठ उप प्रधान सुमन देवी, सचिव
विनोद प्रभाकर, वित्त सचिव बिजेंद्र सिंह, सह सचिव भूपेंद्र सिंह व जिला उप प्रधान
विरेन्द्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि एनपीएस की जगह हरियाणा में युनिफाइड पेंशन स्कीम
की सरकार ने घोषणा की हैं वह तो एक प्राइवेट बीमा या शेयर मार्केट का अपना स्वयं का
निवेश मात्र हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान
में लागू नई पेंशन योजना व सरकार द्वारा वर्तमान में घोषित युनिफाइड पेंशन स्कीम कर्मचारियों
की सामाजिक सुरक्षा के साथ सरासर अन्याय है। अध्यापक संघ नेताओं ने कहा कि अब यूनिफाइड
पेंशन स्कीम के नाम पर एक और भ्रमजाल खड़ा
किया जा रहा है, ताकि कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग को भटकाया जा सके। हरियाणा
विद्यालय अध्यापक संघ इसका कड़ा विरोध करता हैं। उन्होंने कहा कि नई पेंशन योजना एवं
युनिफाइड पेंशन स्कीम दोनों ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पूर्ण आर्थिक असुरक्षा में
धकेलती है। यह पेंशन नहीं, बल्कि शेयर बाजार पर आधारित एक जोखिमपूर्ण निवेश है।
अध्यापक संघ नेताओं ने कहा कि एनपीएस या यूपीएस किसकी मांग हैं? कर्मचारी तो
ओपीएस मांग रहें हैं,फिर तानाशाही पूर्वक यूपीएस क्यों थोपी जा रही हैं? उन्होंने कहा
कि सरकार न्याय करने की जगह तानाशाही कर रही हैं। राज्य सरकार केवल रिपोर्ट मांगने
और बयान जारी करने तक सीमित है, जबकि लाखों कर्मचारी ओपीएस के लिए मैदान में हैं। यूपीएस
को एक ‘राजनीतिक जुमला’ बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे ना तो सरकार का बोझ कम होगा, ना कर्मचारी
संतुष्ट होंगे। यह मात्र कार्पोरेट को देश लूटाने के लिए हो रहा हैं। उन्होंने कहा
कि पुरानी पेंशन योजना कोई खैरात नहीं, बल्कि कर्मचारी का सेवा पश्चात अधिकार
है। इसलिए सरकार ओपीएस को बहाल करे और यूपीएस जैसे भ्रमक प्रस्तावों को तत्काल वापस
ले।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
