RAJASTHAN

सरकार बताए कि पिछले आठ महीने से राजस्थान में बिजली और पानी की अव्यवस्था क्यों फैली- गहलाेत

राजस्थान व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बयान विरोधाभासी

जयपुर, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत ने राज्य सरकार व बिजली मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा है कि जिस तरह पूर्वी राजस्थान नहर परियाेजना के एमओयू काे अभी तक जनता एवं विधानसभा से छिपाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है, वैसी ही स्थिति बिजली के मामले में भी लग रही है। उन्हाेंने कहा कि इस गर्मी और उमस के माैसम में राजस्थान की जनता अघोषित बिजली कटौती से बेहाल है। बिजली मंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

गहलाेत ने शुक्रवार काे साेशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि राजस्थान की जनता अघोषित बिजली कटौती से त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है। बिजली मंत्री महोदय को इस ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इस बिजली कटौती के कारण ऊमस और मच्छरों से परेशान जनता जानना चाहती है कि पिछले आठ महीने से राजस्थान में बिजली और पानी की अव्यवस्था क्यों फैली हुई है।

उन्हाेंने लिखा, राजस्थान के मुख्यमंत्री 12 जुलाई को सोशल मीडिया पोस्ट करते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरण्य कोलफील्ड में संचालित परसा ईस्ट एवं कांता बासन (पीईकेबी) कोल ब्लॉक की 91.21 हेक्टेयर वनभूमि का उपयोग करने की अनुमति प्रदान कर दी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री मीडिया के सामने कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है, उनसे (राजस्थान के मुख्यमंत्री) से कोई गलती हुई है। मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं देता है जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए। इन सवालों पर ऊर्जा मंत्री की ओर से जवाब आता है कि पीईकेबी की 91 हेक्टेयर भूमि की साइट क्लीयरेंस अनुमति पिछले वर्ष 12/12/23 को दे दी गई थी। इसमें से 26 हेक्टेयर भूमि 19/1/24 एवं 30 हेक्टेयर भूमि 22/3/24 को राजस्थान सरकार को मिल गई। शेष 34 हेक्टेयर जमीन की क्लीयरेंस मिल गई है एवं ये जमीन जल्द राजस्थान सरकार को मिलेगी।

गहलाेत ने स्पष्ट किया कि बिजली मंत्री का दावा है कि मुख्यमंत्री, राजस्थान के सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ और अधूरे अनुरोधों के पूर्ण होने का निवेदन किया है जिस पर मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ ने ये जवाब दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल करते हुए कहा कि राजस्थान की जनता के मन में कुछ सवाल हैं जिनके जवाब मुख्यमंत्री कार्यालय को देने चाहिए।गहलाेत ने सवाल किया कि अगर 91 हेक्टेयर भूमि के उपयोग की अनुमति दिसंबर, 2023 में ही मिल गई तो 12 जुलाई 2024 को सोशल मीडिया पर पोस्ट क्यों किया गया? इसके अलावा मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ से पत्रकारों ने पीईकेबी के 91 हेक्टेयर भूमि पर कोयला खनन की अनुमति के सोशल मीडिया पोस्ट और धन्यवाद करने को लेकर सीधा सवाल पूछा था जिसका वीडियो भी पब्लिक में है, जिसके जवाब में मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है, उनसे कोई गलती हुई होगी। क्या मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान ये स्पष्ट करेगा कि यह सोशल मीडिया पोस्ट गलती से हुआ या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री वहां की स्थानीय राजनीति के कारण असत्य बोल रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / संदीप

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