जयपुर, 3 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले प्रेमी जोडों सहित जिन लोगों के जीवन व स्वतंत्रता को खतरा हो उनकी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को प्रभावी मैकेनिज्म विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्देश की पालना में इस संबंध में राज्य एवं जिला स्तर पर पुलिस शिकायत प्राधिकरण बनाए। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश एक प्रेमी जोडे को पुलिस सुरक्षा देने से जुडी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में रोजाना करीब एक दर्जन से अधिक ऐसे मामले आते हैं, जिनमें पुलिस सुरक्षा की गुहार की जाती है। ऐसे में राज्य सरकार जीवन की सुरक्षा चाहने वाले पीडितों के लिए ऑनलाइन हैल्प लाइन नंबर, व्हाट्सअप या ईमेल की सुविधा मुहैया कराए और उसका प्रभावी क्रियान्वयन भी किया जाए।
अदालत ने फैसले में कहा है कि पीडित पक्ष नोडल ऑफिसर के समक्ष ऑनलाइन या ऑफ लाइन तरीके से शिकायत दर्ज कराएगा। यदि नोडल अधिकारी का क्षेत्राधिकार नहीं है तो भी वह शिकायत लेने से मना नहीं कर सकता और वह उसे तीन दिन में संबंधित नोडल अधिकारी के पास भेजेगा। नोडल अधिकारी पीडितों की जरूरत को देखते हुए उसे अस्थाई तौर पर सुरक्षा मुहैया कराएगा। इसके अलावा यदि पीडित पक्ष नोडल अधिकारी के निर्णय से संतुष्ठ नहीं है तो वह इसकी अपील एसपी के समक्ष कर सकता है। ऐसी शिकायत आने पर पुलिस अधीक्षक को तीन दिन में इसका निस्तारण करना होगा। यदि वह एसपी के निर्णय या उसकी कार्यशीलता से संतुष्ठ नहीं है तो फिर पुलिस शिकायत प्राधिकरण में शिकायत दर्ज करवा सकेगा। वहीं यदि प्राधिकरण शिकायतकर्ता की शिकायत को सही पाता है तो ऐसे में नोडल अधिकारी व एसपी के खिलाफ आपराधिक व दीवानी मुकदमा चलाने की सिफारिश कर सकता है। दूसरी ओर पीडित पक्ष के प्राधिकरण के फैसले से संतुष्ठ नहीं होने पर वह अंत में हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर सकेगा। इसके साथ ही अदालत ने आदेश की पालना सुनिश्चित करने के लिए फैसले की कॉपी मुख्य सचिव को भेजकर पालना रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने कहा कि अक्सर पीडित पक्ष की ओर से पुलिस प्रशासन से सुरक्षा मांगने के बजाए सीधे ही हाईकोर्ट में याचिका पेश कर दी जाती है। ऐसे में जरूरी है कि इस संबंध में पुलिस प्रशासन के पास शिकायत निस्तारण का उचित मैकेनिज्म होना चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि दोनों याचिकाकर्ता वयस्क हैं और गत एक मार्च को सहमति से विवाह कर चुके हैं। उन्हें महिला याचिकाकर्ता पक्ष के परिजनों की ओर से धमकियां दी जा रही हैं। ऐसे में उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
(Udaipur Kiran) / संदीप