– हरिद्वार में शंकराचार्य और संत गोपालमणि महाराज ने की गौ ध्वज की स्थापना
– गौ हत्या मुक्त भारत बनाने के लिए चलाया जा रहा गौ प्रतिष्ठा आंदोलन
देहरादून, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से चल रहे लैंड जिहाद, मजार जिहाद, थूक जिहाद, मूत्र जिहाद, लव जिहाद के साथ डेमोग्राफिक परिवर्तन को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार की कार्य शैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकारें कमजोर पड़ गई हैं और अगर कानून का राज हो तो कोई किसी पर हावी नहीं होगा।
गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के तहत हरिद्वार बाईपास रोड स्थित गौशाला में शुक्रवार को ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद गिरि व संत गोपालमणि महाराज ने गौ ध्वज की स्थापना की। दरअसल, ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में गत 22 सितंबर से संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के अंतर्गत गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा निकाली जा रही है, जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानी में पहुंचकर वहां एक गौ ध्वज की स्थापना कर रही है। यह यात्रा 27 अक्टूबर को वृंदावन में पूरी हाेगी।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तरकाशी में मस्जिद विवाद के मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्हाेंने कहा कि अगर मस्जिद सही और वैध है तो सरकार को जनता के सामने स्थिति साफ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मस्जिद अवैध है तो ऐसी स्थिति में वहां पर बुलडाेजर चला देना चाहिए।उन्हाेंने कहा है कि जब स्थिति स्पष्ट नहीं है तो जनता आंदोलन करेगी लेकिन इसमें सरकार को कागज दिखाकर साफ करना चाहिए कि मस्जिद वैध है या अवैध।
गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाएगी गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा
गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के राष्ट्रीय सह संयोजक व उत्तराखंड प्रभारी गौभक्त विकास पाटनी ने कहा कि सनातन धर्म में वेद, उपनिषद्, पुराणों सहित समस्त धर्मशास्त्रों में गाै की महिमा गाई गई है। गाय को पशु नहीं अपितु माता की प्रतिष्ठा दी गई है। यही सनातनधर्मी हिंदुओं की पवित्र भावना है, आस्था है। इसी धार्मिक आस्था के लिए संविधान एवं कानून में गाय को राज्य सूची से केंद्रीय सूची में प्रतिष्ठित कर गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने व गौ हत्या मुक्त भारत बनाने के लिए संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गौ ध्वज स्थापना पद यात्रा का सूत्रवाक्य गौमाता-राष्ट्रमाता, राष्ट्रमाता-भारतमाता है।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण