HimachalPradesh

20वें दिन पहुंचा राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ का क्रमिक अनशन, सरकार से तुरंत वार्ता की उठाई मांग

क्रमिक अनशन करते शिक्षक

शिमला, 16 मई (Udaipur Kiran) । राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश का प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन शुक्रवार को 20वें दिन में प्रवेश कर गया। शिक्षक संघ लगातार सरकार की नीतियों और शिक्षा विभाग के हालिया फैसलों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहा है। आज संघ के जिला शिमला इकाई के पदाधिकारियों ने क्रमिक अनशन में भाग लिया और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

अनशन पर बैठने वालों में प्राथमिक शिक्षक संघ जिला शिमला के खंड सुन्नी के महासचिव नितिन हिमराल, पूर्व अध्यक्ष हेम प्रकाश, रोशन लाल वर्मा, भास्करा नंद, जिला शिमला के पूर्व महालेखाकार गुलाब सिंह वर्मा, सदस्य देवेंद्र शर्मा और किशोर कुमार शामिल रहे। इन शिक्षकों के साथ संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश शर्मा, महासचिव संजय पीसी, राज्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रमोद चौहान, मुख्य संरक्षक राम सिंह राव, कोषाध्यक्ष कृष्ण पाल शर्मा, कार्यालय सचिव राजीव कुमार, विशेष आमंत्रित सदस्य रमेश बिजलबान और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।

इस क्रमिक अनशन में शामिल हुए मंडी जिला के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में रिवालसर नगर परिषद के उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह यादव ने कहा कि यह संघर्ष केवल पदोन्नति को यथावत रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक रूप से प्राथमिक शिक्षा और शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि एकीकृत निदेशालय की नई व्यवस्था में मुख्य शिक्षक, केंद्र मुख्य शिक्षक और खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों की प्रशासनिक शक्तियां छीनकर अन्य वर्ग को दी जा रही हैं, जो शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग मुख्यमंत्री को गुमराह कर यह दिखा रहे हैं कि प्राथमिक शिक्षकों की मांग केवल पदोन्नति से जुड़ी है, जबकि हकीकत इससे कहीं आगे है। यादव ने कहा कि बिना अधिकारों के पदोन्नति का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा और भविष्य में ये पद स्वतः ही समाप्त हो सकते हैं। इसे एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया गया है, जिससे शिक्षक वर्ग का मनोबल तोड़ा जा सके।

उन्होंने मांग की कि 26 अप्रैल को शांतिपूर्ण ढंग से हुए धरना-प्रदर्शन के बाद की गई निलंबन कार्रवाई और एफआईआर को तुरंत वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई न केवल प्रतिशोधात्मक है, बल्कि संविधान में वर्णित लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।

संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से आग्रह किया कि वे शीघ्रता से प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित करें और उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनें। शिक्षकों ने चेताया कि अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी, बल्कि सरकार की छवि को भी भारी नुकसान होगा।

प्रदेशभर के प्राथमिक शिक्षक इस समय काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं, जो इस आंदोलन की व्यापकता और गंभीरता को दर्शाता है। शिक्षक संघ ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है ताकि इस लंबित आंदोलन का संतोषजनक समाधान निकल सके और शिक्षण कार्य सामान्य रूप से संचालित हो सके।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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