देहरादून, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में भू-कानून को ताक पर रखकर भूमि खरीदने वाले अब कार्रवाई की जद में आ गए हैं। एक ही परिवार के एक या अधिक सदस्यों ने नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि की खरीद की होगी तो उनकी भूमि सरकार में निहित की जाएगी। शासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
दरअसल, राज्य में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) यथा उत्तराखंड अधिनियम संख्या तीन, वर्ष 2007 द्वारा उक्त अधिनियम की धारा 154 (4) (1) (क) में किए गए संशोधन के अनुसार कोई भी व्यक्ति स्वयं या अपने परिवार के आवासीय प्रयोजन के लिए बिना किसी अनुमति के अपने जीवन काल में अधिकतम 250 वर्ग मीटर भूमि क्रय कर सकता है परंतु ऐसी शिकायत मिल रही है कि एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा पृथक-पृथक भूमि क्रय करके उक्त प्राविधानों का उल्लंघन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में कड़ा भू-कानून अगले वर्ष लागू करने के संकेत दे चुके हैं। साथ ही उन्होंने वर्तमान भू-कानून के उल्लंघन करने पर भी नजरें टेढ़ी की है। उन्होंने गत 27 सितंबर को नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि की बिना अनुमति खरीद के प्रविधान का उल्लंघन करने और एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्यों का अलग-अलग नाम से निर्धारित से अधिक भूमि खरीद करने के प्रकरणों की जांच के आदेश दिए हैं।
शासन ने आदेश जारी कर सभी जिलाधिकारियों को ऐसे प्रकरणों की जांच के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी ऐसे प्रकरणों की जांच करने के बाद विधिक कार्रवाई करेंगे। इस संबंध में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शासनादेश जारी किया है।
शासनादेश में यह भी कहा गया कि राज्य में निवेश के लिए अनुमति लेकर की गई 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद का उपयोग अन्य प्रयोजन में करने के प्रकरणों की जांच भी जिलाधिकारी करेंगे। ऐसी भूमि गलत ढंग से खरीदी गई अथवा उसका उपयोग अन्य प्रकार से करने पर जिलाधिकारी विधिक कार्रवाई करेंगे।
इस संबंध में मुख्य सचिव ने उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2001) (संशोधन) अधिनियम, 2003 की धारा की धारा-154(4) (3) के अंतर्गत दी गई भूमि क्रय की अनुमति के सापेक्ष जिन क्रेताओं ने भूमि का निर्धारित प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं किया है, के संबंध में विवरण राजस्व परिषद उत्तराखंड के माध्यम से शासन को एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण