

—’मालवीय मनीला सिंचित धान-1’के बीज इसी वर्ष से उपलब्ध,115 से 120 दिन में पक कर हो जाएगी तैयार
वाराणसी,15 मई (Udaipur Kiran) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के धान और सरसों की फसल के तीन उन्नत किस्मों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए रिलीज़ /नोटिफाइड कर दिया है। इसमें धान की दो तथा सरसों की एक किस्में है। इन सभी उन्नत किस्मों के बीज अगले वर्ष से उपलब्ध हो जाएंगे, जबकि ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ के बीज इस वर्ष से ही बिकने लगे हैं।
धान की ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ बीएचयू तथा इर्री के संयुक्त पहल पर प्रो. श्रवण कुमार सिंह के नेतृत्व में तैयार किया गया है। प्रो.श्रवण सिंह के अनुसार यह किस्म कम समय में पक कर (115 से 120 दिन में) तैयार हो जाती है। इसमें अत्यधिक उपज 55 से 60 कुंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है। उन्होंने बताया कि इसके दाने पतले एवं लंबे होते हैं । खाने में स्वाद अच्छा एवं मीठा है। धान की ‘मालवीय धान 105 सब 1’ किस्म यहाँ के पुराने किस्म ‘मालवीय धान 105’ का ही उन्नत रूप है। जो प्रो. पी के सिंह के नेतृत्व में उनकी टीम ने तैयार किया है। इसे सब-1 जीन डालकर तैयार किया गया है । जिसके कारण यह 14 से 15 दिन तक पानी में डूबे रहने पर भी खराब नही होता। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए यह किस्म उपयुक्त है। इसकी औसत उपज 42 से 46 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। इसमें हलकी महक भी है।
सरसों की किस्म ‘मालवीय निधि’ प्रो. के. श्रीवास्तव के नेतृत्व मे तैयार की गई है। यह किस्म 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके दाने बड़े तथा काले हैं तथा औसत तेल 39.4 फीसद है। प्रो. सिंह के अनुसार प्रमुख फसलों में नई किस्मों को बनाने का कार्य लगातार चल रहा है। फसलों की नई किस्मों को बनाने में करीब 12 से 15 वर्ष लग जाते हैं। आगे आने वाले वर्षों में जलवायु परिवर्तन को देखते हुए नई किस्में जल्द आने की उम्मीदें हैं।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
