प्रयागराज, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रीमद्भगवद गीता की दुर्लभ टीका के सम्पादन के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर अनिल प्रताप गिरि को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने चार लाख रुपये की अनुदान राशि प्रदान की है।
यह जानकारी इविवि की जनसम्पर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर ने मंगलवार को देते हुए बताया कि यह अनुदान 15 जुलाई को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर अनिल प्रताप गिरि को प्रदान की गई है। यह अनुदान राशि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा संचालित अष्टादशी परियोजना के माध्यम से दी गई है। अष्टादशी परियोजना का उद्देश्य संस्कृत के संवर्धन और संरक्षण के लिए नवोन्मेषी शोध कार्यों को प्रोत्साहित करना है, जिससे संस्कृत की साम्प्रतिक उपादेयता और भारतीय संस्कृति की समृद्धि हो सके।
पीआरओ ने बताया कि प्रो गिरि, स्वर्णमयी जोगेन्द्रनाथ महाविद्यालय, मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ परिमल मंडल के साथ मिलकर श्रीमद्भगवद्गीता की दुर्लभ टीका पर शोध कार्य करेंगे। यह टीका पं. जगदीश तर्कालंकार द्वारा विरचित है, जो भगवतगीता रहस्य प्रकाश नाम से विविध लिपियों में प्राप्त होती है। इस शोध कार्य का मुख्य उद्देश्य इस दुर्लभ टीका का पाठ-भेद समीक्षात्मक सम्पादन करना है, ताकि इसे वैश्विक जगत में एक ग्रंथ के रूप में प्रकाशित किया जा सके।
इस प्रोजेक्ट की प्राप्ति पर संस्कृत विभाग के समन्वयक प्रो प्रयाग नारायण मिश्र सहित अतिरिक्त संस्कृत विभाग की सह आचार्या डॉ निरुपमा त्रिपाठी, सहायक आचार्या डॉ रेनू कोछड़ शर्मा, डॉ लेख राम दन्नाना और डॉ मीनाक्षी जोशी ने भी प्रोफेसर गिरि को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। इस अनुदान राशि से प्रो. गिरि और उनकी टीम को श्रीमद्भगवद गीता की दुर्लभ टीका के सम्पादन में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। इस टीका का सम्पादन और प्रकाशन न केवल संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक धरोहर को भी समृद्ध करेगा। इस प्रकार के शोध कार्य संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति के सम्वर्धन और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र / आकाश कुमार राय