मंडी, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । मंडी नगर निगम के स्वीकृत 189 पदों में से 87 पदों को प्रदेश सरकार ने खत्म कर दिया है जबकि बाकी बचे स्वीकृत 102 पदों में से 35 खाली पड़े । इन खाली पदों में भी एक अधिशाषी अभियंताए एक सहायक अभियंता व दो कनिष्ठ अभियंता जैसे अहम पद हैं। शुक्रवार को हुई साधारण सभा की बैठक में महापौर वीरेंद्र भट्ट ने बताया कि खत्म किए गए पदों में बेलदार, भिश्ती, प्लंबर, माली, मैसन, सफाई कर्मचारी और कार्टमैन इत्यादि हैं।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि रिक्त पदों को समाप्त किए जाने के बावजूद नगर निगम में खाली पदों को शीघ्र भरा जाएगा ताकि निगम के कार्यों की गति प्रभावित न हो।
महापौर ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के लिए शीघ्र ही सरकार से आवश्यक सहमति प्राप्त की जाएगी तथा निगम में अन्य खाली पड़े पदों को भरने व विकासात्मक कार्यों हेतु धनराशि प्रदान करने के लिए सरकार से शीघ्र भेंट कर एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। इससे पहले बैठक शुरू होने पर सदन ने सर्वसम्मति से गृहकर उपनियम-2024 को स्वीकृति प्रदान की। इसी के साथ बैठक में नगर निगम में विकासात्मक कार्यों की समीक्षा करते हुए शीघ्र अति शीघ्र रुके हुए कार्यों को पुन: प्रारंभ करने और उन्हें निर्धारित समय सीमा के भीतर पूर्ण करनेए जिन कार्यों के टैंडर हो चुके है उनके आबंटित पत्र शीघ्र जारी करने के बैठक में निर्णय लिया गया। सभी रुके हुए कार्यों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि नागरिकों को समय पर सुविधा मिल सके और शहर का समग्र विकास अवरुद्ध न हो।
महापौर ने अधिकारियों से कहा कि वे सभी बुनियादी ढांचा विकास, सडक़ों के निर्माण, स्ट्रीट लाईट, जल आपूर्ति, सफाई और अन्य सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित कार्यों की स्थिति का गहराई से मूल्यांकन करें और उन कार्यों को फिर से चालू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। बैठक की शुरूआत में पार्षद हरदीप सिंह राजा ने सर्वप्रथम भारत की आजादी के लिए कूका आंदोलन में 17 व 18 जनवरी 1872 मलेरकोटला पंजाब में हुए नरसंहार बारे अवगत करवाते हुए सदन से श्रद्धंाजलि भेंट करने के लिए दो मिनट के मौन रखने का आग्रह किया तथा जानकारी दी कि किस प्रकार 66 नामधारी कूका सिखों को अंग्रेजी सरकार के अधिकारियों के द्वारा बिना कोई केस चलाए हुए मलेरकोटला के परेड मैदान में तोपों के साथ उड़ाकर शहीद किया गया था। यह विद्रोह अंगेजों के द्वारा गउहत्या को बढ़ावा देने के खिलाफ किया गया था। इस आंदोलन के दौरान लोगों को सरकारी सेवाओं कानूनों और विदेशी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया था।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा