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दिल्ली विधानसभा में 14 सीएजी रिपोर्ट्स को पेश करने के लिए विशेष सत्र बुलाए सरकार: भाजपा

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायकों की ओर से दिल्ली हाई काेर्ट में दायर एक याचिका के बाद दिल्ली सरकार ने आनन-फानन में 497 दिन के बाद रिपोर्ट्स को उपराज्यपाल को भेज दी है। इस याचिका के माध्यम से

सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने के निर्देश देने की मांग की है। इस मामले में अब विपक्ष के नेता ने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र तुरंत बुलाने की मांग की है। जिसमें 14 सीएजी रिपोर्ट्स को न केवल प्रस्तुत किया जाए बल्कि इन पर विस्तार से चर्चा हो। इसके अलावा रिपोर्ट्स के निष्कर्षों की जांच के लिए विशेष समितियां बनाई जाएं और इस अभूतपूर्व देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उनके पैसे का उपयोग कैसे हुआ। सीएजी रिपोर्ट्स को दबाने का यह जानबूझकर किया गया प्रयास वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को छिपाने की साजिश है।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने सीएजी की अहम रिपोर्ट्स को 497 दिन तक जानबूझकर दबाए रखा और केवल दिल्ली हाई काेर्ट के संभावित प्रतिकूल आदेश के दबाव में इन्हें अब प्रस्तुत किया। इन रिपोर्ट्स को आखिरी क्षण में प्रस्तुत करना साफ दिखाता है कि सरकार जवाबदेही से बचने और वित्तीय गड़बड़ियों को छिपाने के प्रयास में लगी थी।

गुप्ता ने कहा कि 497 दिन से लंबित 14 सीएजी रिपोर्ट्स की सूची, जिन्हें आआपा सरकार की वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल सचिवालय में प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट्स को दबाने का यह मामला इसलिए और गंभीर हो जाता है क्योंकि इनमें से 14 में से 11 रिपोर्ट्स उस समय के हैं, जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे। ये रिपोर्ट्स सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की कार्यप्रणाली, दिल्ली में शराब की आपूर्ति और नियमन, राज्य के वित्तीय मामलों और राजस्व, आर्थिक, सामाजिक और सामान्य क्षेत्रों से संबंधित अहम मुद्दों को कवर करती हैं।

गुप्ता ने कहा कि कुछ रिपोर्ट्स अगस्त 2023 से ही मंत्रियों की मेज पर धूल फांक रही हैं, जो संविधानिक दायित्वों और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति पूरी लापरवाही को उजागर करती है।

यह चिंताजनक है कि इन रिपोर्ट्स में मोहल्ला क्लीनिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना का विस्तृत ऑडिट, डीटीसी की कार्यप्रणाली, राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की परफॉर्मेंस और वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम व कमी जैसे मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 497 दिन की अभूतपूर्व देरी ने यह दिखा दिया है कि दिल्ली की शासन व्यवस्था में वित्तीय जवाबदेही पूरी तरह ठप हो चुकी है।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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