नई दिल्ली, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । अमेरिकी फेडरल रिजर्व (यूएस फेड) द्वारा 4 साल बाद ब्याज दरों में कटौती करने का इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट पर काफी जोरदार असर नजर रहा है। इस कटौती के बाद इंटरनेशनल मार्केट में सोने के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। सोना पहली बार 2,600 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार करके 2603 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
कोरोना प्रकोप के बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पहली बार अमेरिकी लेबर मार्केट को सपोर्ट करने के इरादे से ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है। यूएस फेड की 2 दिन तक चली बैठक में ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करने का 18 प्रतिनिधियों ने समर्थन किया जबकि सिर्फ एक प्रतिनिधि इस प्रस्ताव के खिलाफ था। 2024 में ही यूएस फेड की और दो बैठकें होने वाली है, जिसमें आगे भी ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लिया जा सकता है।
यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने से डॉलर इंडेक्स में नरमी आई। इसी के साथ ट्रेजरी यील्ड में भी गिरावट आ गई, जिसके कारण इंटरनेशनल मार्केट में सोने के भाव में 1.27 प्रतिशत की तेजी आ गई। पहले ही इस बात का अनुमान लगाया जा रहा था कि अगर यूएस फेड ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लेता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव में उछाल आ सकता है। पहले से लगाए जा रहे अनुमानों के मुताबिक ही यूएस फेड का फैसला आने के बाद इंटरनेशनल मार्केट में सोने की कीमत में तेजी आ गई।
उल्लेखनीय है कि यूएस फेड के फैसले के पहले से ही इंटरनेशनल मार्केट में सोना लगातार नए रिकॉर्ड बनाता रहा है। मध्य एशिया में बढ़ते तनाव और रूस यूक्रेन जंग की वजह से इस साल गोल्ड मार्केट में पहले से ही काफी तेजी आई हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना अभी तक 24 प्रतिशत से अधिक की तेजी दर्ज कर चुका है। ऐसे में अमेरिका में ब्याज दोनों में कटौती से सोने के भाव रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए हैं।
हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने की कीमत में आया ये उछाल अस्थाई भी साबित हो सकता है। क्योंकि अगर डॉलर इंडेक्स में दोबारा तेजी आती है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलते हैं, तो निवेशकों का रुझान एक बार फिर सोने की ओर हो सकता है। ऐसा होने पर सोना अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे फिसल सकता है। हालांकि फिलहाल ब्याज दरों में कटौती शुरू हो जाने के कारण डॉलर की ताकत में भी कमी आने का अनुमान है। ऐसा होने पर आमतौर पर अर्थव्यवस्था में मंदी का डर बनने लगता है, जिससे सुरक्षित निवेश के रूप में लोगों का रुझान सोने की ओर बढ़ जाता है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका में ब्याज दरों में हुई कटौती का बाजार पर पड़ने वाला वास्तविक असर आने वाले एक से दो सप्ताह बाद ही पता चल सकेगा। इसके पहले बाजार में होने वाले किसी भी परिवर्तन के टिकाऊ होने की उम्मीद नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक