Chhattisgarh

ईश्वर को मनरेगा की मदद से मिली उन्नति की राह, मनरेगा से हुआ पशु आश्रय स्थल निर्माण कार्य

मनरेगा से हुआ पशु आश्रय स्थल निर्माण कार्य
मनरेगा से हुआ पशु आश्रय स्थल निर्माण कार्य

कोरबा/ जांजगीर-चांपा 10 सितम्बर (हि . स.)। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले ईश्वर ने महात्मा गांधी नरेगा के साथ मिलकर एक पशु शेड का निर्माण किया है, जिससे उनके पशुओं की देखभाल करने में आसानी हुई है। इस पशु शेड में वह अपने पशुओं को रख सकते हैं और उनकी देखभाल कर सकते हैं। पशु शेड का निर्माण होने से उन्हें अपने संसाधनों को बढ़ाने में मजबूती मिली है। मनरेगा के साथ उन्होंने जॉबकार्डधारी परिवारों के साथ तैयार किया और कुछ ही दिनों में, पशु शेड तैयार हो गया और ईश्वर सहित उनका परिवार खुश हो गया। इस पशु आश्रय स्थल निर्माण की सफलता की कहानी एक ऐसी कहानी है जो हमें बताती है कि कैसे एक छोटे से गाँव में रहने वाले ईश्वर ने अपने जीवन को सुधारा।

जांजगीर-चांपा के विकासखण्ड अकलतरा की ग्राम पंचायत चंगोरी में रहते हैं ईश्वर पिता जनकराम। उनके पास पशु थे, लेकिन उन्हें अपने पशुओं के लिए कोई उचित स्थान नहीं था जहाँ वे उन्हें रख सकें। पशुओं के आश्रय की बहुत समस्या थी, गर्मी एवं बरसात के मौसम में पशुओं के लिए समस्या बढ़ती जा रही थी जिससे दूध उत्पादन काफी कम होता जा रहा था, तो वहीं दूसरी ओर पशु भी बीमारी से ग्रसित होने लगे थे। इसी दौरान एक दिन वह ग्राम पंचायत की बैठक में गए जहां पर उन्हें महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से हितग्राही मूलक कार्यों की जानकारी मिली। कुछ आवश्यक जानकारी उन्होंने रोजगार सहायक से ली और अपने आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज भी जमा कराए।

ग्राम पंचायत में ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजित की इस बैठक मेें अजीविका बढ़ाने के लिए ईश्वर के लिए पशु आश्रय स्थल निर्माण कार्य के लिए सभी ने सहमति जताई और प्रस्ताव को पास किया। यहीं से उन्होंने अपने जीवन के बदलाव को देखा, वह दिन आया जब जनपद पंचायत से जिला प्रस्ताव भेजा गया और जिले से हितग्राही मूलक कार्य के रूप में राशि की मंजूरी दी गई। मनरेगा के मजूदरों ने उनका यह पशु आश्रय स्थल तैयार किया और वह दिन आ गया जब वह पशुओं के लिए बनाए गए शेड में रखने लगे। ईश्वर कहते हैं कि कुछ ही दिनों में, पशु शेड तैयार हो गया और अपने पशुओं को वहाँ रखा। इससे उन्हें अपने पशुओं की देखभाल करने में आसानी हुई और उनके जीवन में सुधार आया। वह कहते हैं कि उन्हें दो-तीन तरीके से मुनाफा हुआ, एक जो रोजगार के रूप में तो दूसरा पशुओं के दूध उत्पादन एवं गोबर से खाद एवं वर्मी खाद उत्पादन कर अतिरिक्त आय प्राप्त करने लगे हैं।

(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी

(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी

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