
नई दिल्ली, 7 जून (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को आपदाओं से निपटने और विकास में लचीलेपन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आपदाओं से उबरने के लिए सीख और सर्वोत्तम तरीकों का एक वैश्विक डिजिटल संग्रह पूरे विश्व के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने ऐसे अवसंरचना के निर्माण का आह्वान किया, जो समय और ज्वार के विरुद्ध अडिग रहे।
प्रधानमंत्री ने फ्रांस में आयोजित आपदा रोधी अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीडीआरआई) 2025 को दूसरे और अंतिम दिन वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विश्व के लिए एक मजबूत और आपदा प्रतिरोधी भविष्य के निर्माण के लिए वैश्विक प्रयासों का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आपदाओं के प्रभावों को कम करने और विकास को सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग और साझेदारी की आवश्यकता है। आपदा प्रतिरोधी भविष्य के निर्माण के लिए हमें आपदाओं के प्रभावों को कम करने और विकास को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा। वैश्विक डिजिटल संग्रह आपदाओं से निपटने और विकास में लचीलेपन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने सम्मेलन की थीम ‘तटीय क्षेत्रों के लिए लचीले भविष्य को आकार देना’ का उल्लेख कर कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षेत्र और द्वीप बहुत जोखिम में हैं। मोदी ने हाल के दिनों में भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन में तूफान बेरिल, दक्षिण-पूर्व एशिया में टाइफून यागी, संयुक्त राज्य अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपींस में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो का उदाहरण दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी आपदाओं ने जान-माल को नुकसान पहुंचाया।
प्रधानमंत्री ने भारत में 1999 के सुपर-साइक्लोन और 2004 की सुनामी सहित विनाशकारी आपदाओं के दर्द को याद करते हुए कहा कि भारत ने लचीलेपन को ध्यान में रखते हुए अनुकूलन और पुनर्निर्माण किया। संवेदनशील क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया गया और 29 देशों के लिए सुनामी चेतावनी प्रणाली बनाने में भी मदद की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ काम कर रहा है। आपदा रोधी घर, अस्पताल, स्कूल, ऊर्जा, जल सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है। मोदी ने प्रशांत, हिंद महासागर और कैरीबियाई क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति की सराहना की और गठबंधन में अफ्रीकी संघ की भागीदारी का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने प्रमुख वैश्विक प्राथमिकताओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए 5 प्रमुख विषयों को रेखांकित किया। पहला, भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए कुशल कार्यबल बनाने के लिए उच्च शिक्षा में आपदा लचीलापन पाठ्यक्रम, मॉड्यूल और कौशल विकास कार्यक्रमों को एकीकृत करने का महत्व। दूसरा, उन्होंने आपदाओं का सामना करने वाले तथा तन्यकता के साथ पुनर्निर्माण करने वाले देशों से सर्वोत्तम प्रथाओं तथा सीखों को प्रलेखित करने के लिए एक वैश्विक डिजिटल संग्रह की आवश्यकता पर बल दिया। तीसरा, मोदी ने आपदा तन्यकता के लिए अभिनव वित्तपोषण की आवश्यकता बताई तथा विकासशील देशों को आवश्यक निधियों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई योग्य कार्यक्रम बनाने का आह्वान किया। चौथा, प्रधानमंत्री ने छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूप में मान्यता देने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और उनकी कमजोरियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। पांचवीं प्राथमिकता का उल्लेख करते हुए मोदी ने पूर्व चेतावनी प्रणाली और समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, समय पर निर्णय लेने और अंतिम छोर तक प्रभावी संचार की सुविधा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
