प्रयागराज, 03 नवम्बर (Udaipur Kiran) । गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने गाजियाबाद कोर्ट में वकीलों पर हाल ही में हुए लाठीचार्ज और हिंसा की हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग करते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
अधिवक्ता जवाहर यादव के माध्यम से दायर आपराधिक याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके जिला मजिस्ट्रेट को कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादियों को वकीलों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में बार के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका जाए और पुलिस आयुक्त को जिला न्यायाधीश की अदालत और पूरे न्यायालय परिसर के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित करने और प्रभावी जांच के लिए इसे एसआईटी को भेजने का निर्देश देना भी शामिल है।
गौरतलब है कि लाठीचार्ज की घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें पुलिस अधिकारियों को कोर्ट रूम के अंदर वकीलों को तितर बितर करने के लिए लाठीचार्ज करते देखा जा सकता है। वहीं, वकीलों को कुर्सियां फेंकते हुए भी देखा जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि यह घटना तब हुई जब कुछ बार सदस्य जमानत के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार की अदालत में पहुंचे। पीठासीन अधिकारी ने कथित तौर पर मामले की सुनवाई करने या उसे किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया।
याचिका में दावा किया गया है कि इसके बाद वकीलों और जिला जज के बीच बहस शुरू हो गई। उसके बाद जज भड़क गए और अपनी कुर्सी छोड़कर डायस पर आ गए और वकीलों को गाली देने लगे। इसके बाद उन्होंने पुलिस को बुलाया, जिसने बार के सदस्यों पर बेरहमी से हमला किया और जिला जज के अनुरोध पर कोर्ट परिसर में सीआरपीएफ को तैनात किया गया।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जिला न्यायाधीश ने पुलिस अधिकारियों को वकीलों पर गोली चलाने का निर्देश देते हुए अपने अधिकार क्षेत्र का पूरी तरह से अतिक्रमण किया तथा जिला न्यायाधीश के पद के लिए ऐसा कृत्य अशोभनीय है। साथ ही यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के भी विपरीत है।
याचिका में कहा गया है कि एसआईटी से जांच की मांग का कारण यह है कि बिना किसी उकसावे के वकीलों पर कुर्सियां फेंकने और उन पर हमला करने में पुलिस अधिकारियों का आचरण जांच का विषय है।
याचिका में कहा गया है कि चूंकि आरोप प्रथम दृष्टया उच्च पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ जिला न्यायाधीश के अवैध और मनमाने कृत्य की ओर इंगित करता है, इसलिए स्थानीय पुलिस द्वारा की गई कोई भी जांच पक्षपातपूर्ण और एकतरफा होगी। इस मामले पर हाईकोर्ट में इस सप्ताह सुनवाई होने की सम्भावना है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे