Uttar Pradesh

ज़ाइनेटिक साझेदारी भविष्य की दिशा में वैश्विक आंदोलन का समर्थन करने में सक्षम होगा भारत: प्रो.मणींद्र अग्रवाल

आईआईटी कानपुर एवं ज़ाइनेटिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग संस्थान के मध्य हुए समझौते का छाया चित्र

कानपुर,14 नवम्बर (Udaipur Kiran) । ज़ाइनेटिक के साथ यह साझेदारी भारत के ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान करने और सभी के लिए एक स्वच्छ, अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में वैश्विक आंदोलन का समर्थन करने में सक्षम बनाएगा। यह बात गुरुवार को ज़ाइनेटिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग के साथ हुए समझौते के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कही।

उन्होंने कहा कि ज़ाइनेटिक के साथ यह साझेदारी इस बात का उदाहरण है कि कैसे शिक्षा और उद्योग मिलकर ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर सकते हैं और भारत को अपने हरित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। 2030 तक 30 प्रतिशत नए निजी वाहन पंजीकरण ईवी होने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 8 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहनों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक बड़े पैमाने पर चार्जिंग इकोसिस्टम की आवश्यकता होगी।

इस मौके पर कानपुर आईआईटी आरएंडडी के डीन प्रो.तरुण गुप्ता ने कहा कि ज़ाइनेटिक के साथ हमारी ये साझेदारी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग तकनीक में नवाचार की सीमाओं को आगे बढ़ाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। आईआईटी कानपुर की शोध विशेषज्ञता और ज़ाइनेटिक की उद्योग अंतर्दृष्टि का लाभ उठाकर, हम पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, पूर्वानुमानित रखरखाव और एआई एकीकरण में उन्नत समाधान विकसित करने की आशा करते हैं जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के भविष्य को नया आकार देगा।

ज़ाइनेटिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग के संस्थापक और सीईओ हर्षवर्धन तिवारी कहा कि हम इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग तकनीक और बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने के लिए आईआईटी कानपुर के साथ साझेदारी करके उत्साहित हैं। यह सहयोग भारत में टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देने के हमारे मिशन के साथ पूरी तरह से मेल खाता है और हमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अभिनव समाधानों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।

कानपुर आईआईटी की मीडिया प्रभारी रुचा खेडेकर ने बताया कि गुरुवार को आईआईटी कानपुर और ज़ाइनेटिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग ने ईवी चार्जिंग तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल

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