
शिमला, 12 जून (Udaipur Kiran) । जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज द्वारा देशभर में चलाए जा रहे गौ ध्वज अभियान के तहत केंद्र सरकार से मांग की गई है कि गौ माता को राष्ट्र माता घोषित किया जाए। इसके साथ ही यह भी आग्रह किया गया है कि गाय को ‘पशु’ की श्रेणी से हटाकर उसे ‘माता’ का संवैधानिक दर्जा प्रदान किया जाए। इस अभियान के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के जाखू क्षेत्र में भी गौ ध्वज स्थापित कर विधिवत पूजा और परिक्रमा की गई।
शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगीराज ने गुरूवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में बताया कि देशभर के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गौ ध्वज प्रतिष्ठा के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकारों से आग्रह किया जा रहा है कि गाय को सिर्फ आस्था का प्रतीक न मानकर, उसे राष्ट्र माता के रूप में संवैधानिक मान्यता दी जाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार पहले ही गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा देकर एक मिसाल कायम कर चुकी है। अब केंद्र सरकार को आगे बढ़कर इस दिशा में ठोस और संवैधानिक कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने बताया कि गौ माता हिन्दू संस्कृति में केवल एक पालतू पशु नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और जीवनशैली का आधार हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी कई राज्यों में गौ हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यदि केंद्र सरकार गाय को राष्ट्र माता घोषित कर एक कड़ा केंद्रीय कानून बनाती है, तो इससे न केवल गौ रक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि देश की सांस्कृतिक अस्मिता को भी मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार से भी यह आग्रह किया गया कि महाराष्ट्र की तरह प्रदेश स्तर पर गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया जाए और इसके लिए कानून बनाया जाए। इससे राज्य में गौ संरक्षण को लेकर एक सशक्त संदेश जाएगा और प्रशासनिक स्तर पर भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
इस मौके पर यह जानकारी भी दी गई कि गौ मतदाता अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके तहत आम जनता से यह अपील की जा रही है कि वे आगामी चुनावों में केवल उन्हीं जनप्रतिनिधियों को वोट दें, जो गौ माता की रक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित होकर काम करें।
गौरतलब है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी द्वारा पिछले वर्ष पूरे भारतवर्ष में यात्रा कर सभी राज्यों की राजधानियों में गौ ध्वज स्थापित किए गए थे। उस समय भी कई राज्यों में यह मांग ज़ोर पकड़ चुकी थी और महाराष्ट्र में यह अभियान एक प्रभावी कानून में परिणत हुआ था।
इस अभियान की अगली कड़ी के रूप में अब ‘गौ ध्वज परिक्रमा’ और ‘निरीक्षण यात्रा’ निकाली जा रही है, जिसके तहत पहले से स्थापित ध्वज स्थलों पर जाकर वहां पूजा-अर्चना की जा रही है और स्थानीय गौ भक्तों को जागरूक किया जा रहा है।
शैलेन्द्र योगीराज ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि देश की संस्कृति की प्रतीक गौ माता को वह सम्मान मिले, जिसकी वह सदियों से अधिकारी रही हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
