Haryana

बहादुरगढ़ के रामबाग में शुरू होगा गैस आधारित शवदाह गृह

बुधवार को रामबाग श्मशान भूमि में स्थापित गैस आधारित शव दाह गृह के पास खड़े शतीश नंबरदार और अन्य।

झज्जर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बहादुरगढ़ की रामबाग श्मशान भूमि में करीब चार साल से अधूरे पड़े गैस आधारित शव दाह गृह की सुविधा अब मिलने की संभावना हुई है। नगर परिषद की लालफीताशाही के चलते इसका कार्य लटका हुआ था। अब यहां की प्रबंध समिति ने प्लांट आरंभ करने लिए बिजली का कनेक्शन लगवा दिया है। यह प्लांट आरंभ होने से कई जरूरतमंदों को सुविधा होगी। इस प्लांट को चालू करने के लिए रामबाग श्मशान भूमि सुधार सभा प्रयासरत थी। बुधवार को यहाँ बिजली की लाइन डालकर मीटर लगा दिया गया। सभा के प्रधान शतीश नम्बरदार ने बताया कि शहर के बस स्टैंड के पास स्थित रामबाग में 70 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया गैस आधारित शवदाह प्लांट बिजली की सुविधा न होने के कारण बंद था। जिससे असुविधा होती थी। गैस पाइप लाइन पहले ही लगा दी गई थी। जो-जो कमी थीं, उन्हें भी दुरुस्त कर दिया गया था और बिजली कनेक्शन के लिए बिजली निगम में आवेदन कर रखा था। अब बिजली का कनेक्शन मिलने के बाद इस प्लांट में शवों का अंत्येष्टि की जा सकेगी।बुधवार को बिजली कनेक्शन लगवाने में सहयोग करने के लिए रामबाग श्मशान घाट में प्रधान शतीश नम्बरदार और समाजसेवी एडवोकेट गौरव राठी , सोनू मक्कड़, पवन नारंग, संटी दुआ राजू दुआ, राजू पंडित, पवन चाहर, गुल्लू सैनी, पवन सैनी महेंद्र सैनी, अनिल राठी व जोगेंद्र भी मौजूद रहे। प्रधान शतीश नंबरदार ने बताया कि एलपीजी-सीएनजी आधारित प्लांट में शव दाह में बहुत कम समय लगेगा और जल्द ही अस्थियाँ भी मिल जाएंगी। इस व्यवस्था से लकड़ियाँ नहीं जलानी पड़ेंगी और धुआँ भी नहीं फैलेगा। इससे पर्यावरण रक्षा में मदद मिलेगी।

एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस में एक शव के संस्कार में 18 किलो गैस का प्रयोग होगा। डेढ़ घंटे में संस्कार होने के बाद अस्थियां मिल जाएंगी। इस समय जो खुले में पुराने रीति रिवाज के अनुसार संस्कार होता है उसमें अस्थियां दो दिन बाद मिलती हैं। फिलहाल बहादुरगढ़ शहर में तीन श्मशान घाट हैं। एक बस स्टैंड के सामने, दूसरा नजफगढ़ रोड पर और तीसरा लाइनपार में परनाला के सरकारी स्कूल के पास है। इन तीनों स्थानों पर फिलहाल लकड़ी से ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। सीएनजी, एलपीजी व पीएनजी आधारित मशीन पर दाह संस्कार होने से प्रदूषण कम होगा। वहीं लकड़ी से कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार करने पर संक्रमण फैलने का खतरा है। इसीलिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ने की वजह से मृत्यु की आशंका को देखते हुए प्रदेश के सभी शहरों में सीएनजी, एलपीजी या फिर पीएनजी से चालित मशीन से दाह संस्कार कराने का निर्णय लिया था और गैस आधारित शवदाह गृह बनाए गए थे।

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(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज

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