Bihar

नेपाल के वीरगंज में सरिसवा नदी में कचरा गिरा रहे औधौगिक इकाई के गेट पर फेका गया कचड़ा

औधौगिक इकाई के गेट पर कचड़ा गिराते वीरगंज महानगरपालिका के कर्मी

पूर्वी चंपारण,31जुलाई (Udaipur Kiran) ।जिले के रक्सौल व नेपाल के वीरगंज शहर की लाइफ लाइन सरिसवा नदी के प्रदूषण को लेकर वीरगंज महानगर पालिका ने बड़ी कारवाई की है। नदी को प्रदूषित करने वाले विभिन्न नेपाली फैक्ट्रियों के गेट के सामने कचरा उड़ेल दिया है।

वीरगंज महानगरपालिका के मेयर राजेशमान सिंह ने बताया कि लगातार चेतावनी के बाद इन फैक्ट्रियो ने बिना शोधन के प्रदूषित पानी सरिसवा नदी में बहाया जा रहा है।जिसके बाद उक्त निर्णय लिया गया।इस कड़ी में मंगलवार को परवानीपुर स्थित अर्निका प्रोसेसिंग उद्योग प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य गेट पर 16 ट्रैक्टर कूड़ा कचरा डाला गया।दिया। वही श्री सिद्धि टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक फैक्ट्री के मुख्य गेट पर बीस ट्रैक्टर कूड़ा फेंक कर रास्ता अवरुद्ध करने की करवाई की गई। थी।

इसके पूर्व मोरियम लेदर इंडस्ट्रीज के गेट पर कुड़ा फेका गया। महानगरपालिका के इस कारवाई से फैक्ट्री संचालको और कर्मियों में खलबली मची है।महानगरपालिका के पर्यावरण निरीक्षक प्रकाश ने बताया कि इस कारवाई के बाद फैक्ट्री संचालक नदी में प्रदूषण न फैलाने के लिए प्रतिबद्धता जतायी है।महानगर पालिका के स्वच्छता प्रकोष्ठ के प्रमुख सरफुद्दीन मियां ने बताया कि नेपाल के बारा जिला के राम वन से निकलने वाली पहाड़ी नदी सरिसवा के प्रदूषण मुक्ति को ले कर रक्सौल और वीरगंज में लगातार आवाज उठ रही है। जिसको देखते हुए वीरगंज महानगर पालिका प्रशासन नदी में रसायन, कूड़ा कचरा डालने के दोषी फैक्ट्री संचालकों के विरुद्ध लगातार करवाई और जुर्माना कर रही है।

निरंतर दी जा रही चेतावनी के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि तीन माह पूर्व 9 फैक्ट्री संचालकों ने प्रशासन के साथ बैठक में नदी को प्रदूषित नही करने की प्रतिबद्धता जताई थी। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और प्रदूषण नियंत्रण को ले कर अंतिम तौर पर 15 दिन का लिखित समय लिया था,बावजूद स्थिति में सुधार नहीं होने के बाद बाध्य होकर उक्त कदम उठाया गया है।

उल्लेखनीय है,कि सरिसवा नदी के प्रदूषण के कारण भारत व नेपाल के भूगर्भ जल काफी प्रदूषित हो चुका है।जिस कारण इस पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लोग कैंसर, लिवर सिरोसिस जैसे घातक रोगों के शिकार हो रहे है।अब तक इससे सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। नदी के प्रदूषण लेबल इस स्तर पर आ गया है,कि जलीय जीव मर रहे है। नदी का पानी काला और बदबू दार हो चुकी है, जिससे तट पर बसने वालो का रहना दूभर हो चला है।इसके प्रदूषण से बूढी गंडक और गंगा में भी प्रदूषण बढ रहा है।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार / गोविंद चौधरी

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