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गंगाराम राजी के उपन्यास जनरल जोरावर सिंह का अब पंजाबी में अनुवाद

जनरल जोरावर सिंह के पंजाबी में अनुदित पुसतक् का आरवरण।

मंडी, 03 जून (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक उपन्यास लिखने वाले मंडी जिला के वरिष्ठ साहित्यकार डा. गंगाराम राजी के ऐतिहासिक उपन्यास जनरल जोरावर सिंह का पंजाबी भाषा में अनुवाद हो गया है। पंजाबी साहित्य के मशहूर कवि साहित्यकार प्रो. सुरजीत सिंह जज द्वारा इस ऐतिहासिक उपन्यास का हिंदी से पंजाबी भाषा में अनुवाद किया गया है।

साहित्यकार गंगाराम राजी ने बताया कि जोरावर सिंह कहलूरिया ऐसा महान योद्धा था जिसे शेरों का राजा कहा जाता था। वास्तव में जोरावर सिंह एक ऐसा चरित्र है जो जम्मू, पंजाब और हिमाचल में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लेह-लद्दाख जैसा सामरिक महत्व का इलाका जनरल जोरावर सिंह के कारण ही भारत का अंग बना है। जनरल जोरावर सिंह ने माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में युद्ध करके इसे प्राप्त किया और शहीद हुए। जनरल जोरावर सिंह संसार का ऐसा योद्धा था जिसकी समाधि दुश्मनों द्वारा बनाई गई और जिसकी आज भी वे पूजा करते हैं।

गंगाराम राजी ने बताया कि जोरावर सिंह का जन्म प्राचीन पहाड़ी रियासत कलहूर के कलहूर गांव जो उनका ननिहाल था, में हुआ था। आगे चल कर वे जम्मू के राजा गुलाब सिंह की सेना में भर्ती होकर जनरल के औहदे तक पहुंचे थे। उनकी बहादुरी को देखकर राजा गुलाब सिंह के बहुत ही विश्वासपात्र और करीबी थे। इसी के चलते वह अपने आत्मविश्वास, जुनून, लगन, कर्मठता, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के दम पर एक साधारण सैनिक से सेनानायक, सेनानयक से वजीर, वजीर से गवर्नर और गवर्नर से जनरल जोरावर सिंह कलहूरिया बन जाता है।

गंगाराम राजी हिमाचल प्रदेश के सबसे अधिक और ऐतिहासिक उपनयास लिखने वाले उपन्यासकार हैं। अब तक इनके करीब अठारह उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें भैरो कभी मरा नहीं, एक थी रानी खैरागढ़ी, सिंध का गांधी, मेरो दर्द न जाणै कोय, बम मास्टर भाई हिरदा राम और जनरल जोरावर सिंह कलहूरिया मशहूर हैं। एक थी रानी खैरागढ़ी उपन्यास पर गंगाराम राजी को हिमाचल कला-संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से राज्य साहित्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। प्रो . सुरजीत जज ने पंजाबी भाषा में अनुवाद करके इस उपन्यास को मूल उपन्यास से बेहतरीन रचना रच कर एक इतिहास रच डाला है । इसी उपन्यास का अभी हाल ही में ज्योति शर्मा ने डोगरी में और पंकज दर्शी ने अंग्रेज़ी और एम के बारी ने उर्दू में अनुवाद किया है। गंगाराम राजी को इस उपलब्धी के लिए विभनन संस्थाओं और साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों प्रो. कुमार कृष्ण, कहानीकार उपन्यासकार मुरारी शर्मा, कवि आलोचक डा. विजय विशाल, कवि आलोचक गणेश गनी, वरिष्ठ साहित्यकार रेखा वशिष्ठ, रूपेश्वरी शर्मा, कृष्णचंद्र महादेविया, रत्तन लाल शर्मा, पवन चौहान,सुरेंद्र मिश्रा, हरीप्रिया शर्मा, जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी, लोकगायिका कृष्णा ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार-छायाकार बीरबल शर्मा, आलोचक निरंजन देव शर्मा, डा. राकेश शर्मा, जगदीश कपूर, डा. राकेश कपूर, डा. पीसी कौंडल आदि ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।

(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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