— पीओपी की अपेक्षा महंगी पड़ रही मिट्टी की मूर्तियां, फिर भी लोगों की पहली पसंद
कानपुर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दीपावली के पर्व में गणेश लक्ष्मी की पूजा ही सबसे अहम है और बाकी साज सजावट तो पर्व का एक भाग है। ऐसे में बाजार में इन दिनों गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां धड़ाधड़ बिक रही हैं। इसमें दो प्रकार की मूर्तियां हैं, जिसमें सबसे सस्ती पीओपी से बनी मूर्तियां है तो वहीं दूसरी तरफ मिट्टी से बनी मूर्तियां उसकी अपेक्षा महंगी। इसके बावजूद लोगों की पहली पसंद मिट्टी की ही मूर्तियां बनी हुई हैं और मिट्टी से बने गणेश लक्ष्मी पीओपी की मूर्तियों पर भारी पड़ रहे हैं।
यह एक ऐसा त्योहार है जिसमें घरों की सफाई से लेकर घरों को लाइटिंग से सजाने के लिए खासकर युवा उतावले रहते हैं। वहीं वयस्क और बुजुर्ग लोगों के लिए इस त्योहार का सबसे अधिक महत्व पूजन पाठ से है। पूजा में लोग धन धान्य से घर भरा रहे ऐसा ईश्वर से आशीर्वाद लेते हैं और यह आशीर्वाद मां लक्ष्मी व गणेश देते हैं। इसलिए हर हिन्दू घरों पर गणेश लक्ष्मी की पूजा होती है और इन दिनों बाजार में इन मूर्तियों का बाजार सजा हुआ है। बाजार में सबसे अधिक प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) निर्मित मूर्तियां बिक रही हैं, क्योंकि यह मिट्टी की मूर्तियों की अपेक्षा सस्ती हैं। इसके बावजूद लोगों में मिट्टी की मूर्तियां ही पहली पसंद है, यह अलग बात है कि महंगाई के चलते सभी लोग इनको नहीं खरीद सकते, पर एक बार इन मूर्तियों को देखकर अपनी मंशा बयां कर देते हैं।
पुरातन संस्कृति की याद दिलाती मिट्टी की मूर्तियां
लक्ष्मीपुरवा बाजार में मिट्टी की मूर्तियां खरीद रहे अनुराग श्रीवास्तव ने रविवार को बताया कि यह मूर्तियां महंगी जरुर पड़ती है, लेकिन इनमें अपनी पुरातन संस्कृति की झलक दिखती है। वहीं दूसरे खरीददार सनातन पाण्डेय का कहना है कि पौराणिक कथा के अनुसार मिट्टी से बनी मूर्ति में भगवान गणेश जी, मां दुर्गा, काली माता, लक्ष्मी माता, सरस्वती माता का वास होता है। मिट्टी के बने हुए गणेश जी से माँ लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं, साथ ही मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। माना जाता है कि मिट्टी में पांच तत्व होते हैं भूमि, अग्नि, जल, वायु और आकाश यह सब एक मिट्टी में होते हैं। मिट्टी की मूर्ति से पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है। इसलिए हम लोग मिट्टी के गणेश लक्ष्मी हर वर्ष खरीदते हैं और इन्ही की पूजा करते हैं।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है पीओपी निर्मित मूर्तियां
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय का कहना है कि भगवान गणेश लक्ष्मी की पीओपी से बनी मूर्ति पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। जबकि मिट्टी से बनी मूर्ति पर्यावरण को संरक्षण देती है। इसलिए सभी को ईको फ्रेंडली मिट्टी की मूर्ति लेकर ही विराजमान करनी चाहिए। ताकि पूजा अर्चना के बाद विसर्जन करने पर पर्यावरण सुरक्षित रहे। इसके प्रति सभी लोगों को जागरुक करना चाहिए। यह गंभीर मामला है जिससे पर्यावरण, जानवर तथा मानव को भी प्रदूषण के माध्यम से नुकसान पहुंचाता है।
मिट्टी की मूर्तियों की अधिक पड़ती है लागत
गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों के दुकानदान राजू के अनुसार मिट्टी की मूर्ति की काफी मांग है, लेकिन वह आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। इसके पीछे कारण है कि मिट्टी की मूर्तियां बनाने में लागत पीओपी की अपेक्षा अधिक पड़ती है। मूर्ति बनाने वाले कारीगर बृजभूषण का कहना है कि शहर में मिट्टी दूर से लाना पड़ता है। मिट्टी की मूर्तियां देर में भी तैयार होती हैं। वह बताते हैं कि पीओपी से निर्मित मूर्ति की कीमत 10 से 200 रुपये तक है। वहीं मिट्टी से निर्मित मूर्तियां 200 से 1000 रुपये तक की हैं। शहर के सुतरखाना स्थित तिलियाना में रहने वाले बऊवा साहू बताते हैं कि इस बार देसी गाय के गोबर, मिट्टी, चूना आदि सामग्री की मदद से मूर्तियां तैयार करा रहे हैं। इसका प्रचार-प्रसार होने के बाद से इसकी मांग आने लगी है। 150 से 300 रुपये तक की ये मूर्तियां पूरी तरह स्वदेशी हैं, साथ ही इन पर प्राकृतिक रंग भी चढ़ा है।
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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह