
मीरजापुर, 17 मई (Udaipur Kiran) । लखनऊ में जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मां विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय, मीरजापुर के लोगो और वेबसाइट का बटन दबाया, तो एक साथ कई प्रतीकों ने आकार ले लिया — आस्था, शिक्षा, विकास और आत्मनिर्भरता। यह केवल एक औपचारिक शुरुआत नहीं थी, बल्कि विन्ध्य क्षेत्र को केंद्र में रखकर योगी सरकार के सपनों की इबारत का एक महत्वपूर्ण अध्याय था।
यह विश्वविद्यालय मडिहान तहसील के देवरी कला गांव में बन रहा है, लेकिन इसकी आत्मा विन्ध्यधाम से जुड़ी है। देवी के नाम पर बना यह विश्वविद्यालय न केवल एक शिक्षण संस्थान होगा, बल्कि यह उस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का विस्तार होगा, जो सदियों से विन्ध्यवासिनी के चरणों में बहती आ रही है।
योगी आदित्यनाथ की पहचान केवल एक राजनेता की नहीं, बल्कि एक संत और संरक्षक की भी है। विन्ध्य क्षेत्र से उनका रिश्ता केवल राजनीतिक नहीं, आध्यात्मिक भी है। यही कारण है कि जब उन्होंने विन्ध्य कॉरिडोर की परिकल्पना की, तो उसमें पर्यटन, तीर्थ और तकनीक तीनों का समावेश था। अब जब विश्वविद्यालय की नींव रखी गई है, तो यह ज्ञान का कॉरिडोर भी बनकर उभर रहा है।
चिकित्सा शिक्षा से शुरू हुई यात्रा
विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सफर पहले ही शुरू हो चुका है। मां विंध्यवासिनी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का संचालन प्रारंभ हो चुका है, जो क्षेत्रीय युवाओं के लिए न केवल चिकित्सा शिक्षा का केंद्र बन रहा है, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ भी बन रहा है। यहां पढ़ने वाले छात्र किसी महानगर से नहीं, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बों से आते हैं। उनके लिए यह संस्थान एक सपने जैसा है — जिसमें वे डॉक्टर बनकर अपने ही गांव की सेवा करने की कल्पना करते हैं।
देवरी कला: गांव से वैश्विक मंच की ओर
देवरी कला गांव, जो कभी जिला मुख्यालय से दूरस्थ माना जाता था, अब नॉलेज हब बनने की राह पर है। यह विकास की वह परिभाषा है, जिसमें स्थानीयता को छोड़े बिना वैश्विकता को अपनाया गया है। विश्वविद्यालय परिसर में बनने वाले शोध संस्थान, डिजिटल लाइब्रेरी, और वैदिक अध्ययन केंद्र इस बात के संकेत हैं कि यह विश्वविद्यालय केवल किताबों की पढ़ाई का स्थान नहीं होगा, बल्कि विचारों की प्रयोगशाला बनेगा।
ड्रीम प्रोजेक्ट का विस्तार
विन्ध्य कॉरिडोर के बाद अब योगी आदित्यनाथ ज्ञान कॉरिडोर को भी मूर्त रूप दे रहे हैं। आस्था और अधुनातन विकास के बीच सेतु बनने वाले इस विश्वविद्यालय से न केवल मीरजापुर, बल्कि सोनभद्र, भदोही, चंदौली और प्रयागराज के भी छात्र लाभान्वित होंगे। विश्वविद्यालय के लोगो में शामिल मां की आकृति, ज्ञान की ज्योति और त्रिशूल यह दर्शाते हैं कि यहां परंपरा और प्रगति एक साथ कदमताल करेंगे।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
