हरिद्वार, 14 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सोमवार 16 दिसंबर से खरमास प्रारम्भ हो रहा है। इसके साथ ही देवोत्थानी एकादशी से आरंभ हुए विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्यों पर एक माह के लिए विराम लग जाएगा।
सनातन धर्म में खरमास को विशेष माना जाता है। इस दुष्ट मास भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब तक खरमास है, तब तक शुभ एवं मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। शादियों और अन्य शुभ मांगलिक आयोजनों को इस अवधि में स्थगित कर दिया जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं।
पंचांग के अनुसार सूर्य देव सोमवार 16 दिसंबर को सुबह 7:40 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे और तभी से खरमास आरंभ हो जाएंगा। खरमास 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन समाप्त होगा। खरमास के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने की मनाही बताई गई है।
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रदीप जोशी के अनुसार खरमासमें प्रतिदिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।इस दौरान प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्य को अर्घ्य दें और उनके मंत्रों का जाप करें।मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए खरमास के दौरान ध्यान करें।
खरमास के दौरान अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों की मदद करें।खरमास में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस समय नया वाहन खरीदना या घर बनवाना भी अशुभ माना जाता है। जब तक खरमास रहता है, सगाई, विवाह, सामाजिक समारोह और गृहप्रवेश निषिद्ध माने जाते हैं। खरमास शुरू होने के साथ ही तीव्र ठंड का दौर भी शुरू हो जाएगा।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला