मुंबई, 27 मई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को मुंबई में कहा कि स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर अध्ययन एवं शोध केंद्र को आवश्यक निधि उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन के विभिन्न पहलू इतने प्रभावशाली थे कि उनमें से प्रत्येक पर व्यापक शोध किया जा सकता था। फडणवीस ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के क्रांतिकारी कार्य और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उनके कार्यों के कारण, अंग्रेजों ने उनसे बैरिस्टर की उपाधि छीन ली थी। विश्वविद्यालय को यह डिग्री पुन: प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने यह भी कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में इंग्लैंड में संबंधित संस्थाओं से पत्राचार करेगी तथा उन्हें मरणोपरांत बैरिस्टर की उपाधि प्रदान करने का प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जीवन यात्रा प्रेरणादायी है। उन्होंने छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और ‘अभिनव भारत’ जैसे संगठन की स्थापना की। जिसे अंग्रेज ‘गुप्त समाज’ कहते थे। इस संगठन के माध्यम से उन्होंने भारतीयता और भारतीय स्वतंत्रता के बारे में जागरूकता पैदा करके और संगठित करके क्रांति को बढ़ावा दिया। विशेष रूप से, उन्होंने जोसेफ मैत्सिनी की आत्मकथा का अनुवाद किया और क्रांति पर पाठ प्रदान करने का काम किया। 1857 के युद्ध को शुरू में ‘सिपाही विद्रोह’ कहा गया था। स्वातंत्र्यवीर सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि यह संघर्ष केवल सैनिकों का विद्रोह नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम था। अपनी पुस्तक ‘भारतीय इतिहास के छह स्वर्णिम पृष्ठ’ के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन के तहत दबाए गए इतिहास को समाज के ध्यान में लाया। उनका आत्मविश्वास, साहस और निर्णायक कार्रवाई आज भी प्रेरणा देती है। उन्होंने अपने देश के लिए लडऩा कभी नहीं छोड़ा। बौद्धिक, सामाजिक और क्रांतिकारी योगदान दिया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनका योगदान आज की पीढ़ी के लिए बहुत प्रेरणादायक है।
इस अवसर पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि कलिना परिसर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। चंद्रकांत ने कहा कि रंगभेद के खिलाफ संघर्ष, स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर, उनके विचारों और साहित्य का अध्ययन करने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय में एक अध्ययन और शोध केंद्र स्थापित किया जा रहा है। उनकी प्रतिमा भी उसी क्षेत्र में स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि सावरकर का क्रांतिकारी चरित्र सभी जानते हैं। हालांकि जब उन्हें दो साल के लिए रत्नागिरी जिले में नजरबंद रखा गया, तो उन पर भडक़ाऊ भाषण देने और लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस दौरान सामाजिक समानता के लिए उनका काम ज्यादा प्रकाश में नहीं आया। रत्नागिरी में पतितपावन मंदिर के निर्माण में उन्होंने मंदिर को सभी जातियों के लिए खोल दिया। उन्होंने सामुदायिक भोज और अंतर्जातीय विवाह का भी आयोजन किया।
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(Udaipur Kiran) यादव
