HimachalPradesh

स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम जयंती समारोह 28 को

लाहौर में बेडिय़ों से जकड़े भाई हिरदा राम।

मंडी, 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । महान स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम जयंती समारोह का आयोजन 28 नवंबर को इंदिरा मार्किट की छत पर स्थित उनकी प्रतिमा के पास आयोजित किया जा रहा है। भाई हिरदा राम स्मारक समिति के महासचिव एवं कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण कुमार नूतन ने बताया कि भाई हिादा राम का जन्म 28 नवंबर 1885 को मंडी रियासत की राजधानी मंडी नगर में हुआ। इनके पिता का नाम गज्जन सिंह था। आठवीं श्रेणी तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने स्वर्णकार के रूप में कार्य करना आरंभ किया। उनके पिता इन्हें उच्च शिक्षा के लिए मंडी से बाहर भेजने में असमर्थ थे। उन दिनों मंडी में आठवी श्रेणी तक ही शिक्षा का प्रबंध था। इससे आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाहौर जाना पड़ता था।

हिरदा राम का विवाह सरला देवी से हुआ। इनके पिता इनके शौक को देख कर इनके लिए अखबार व पुस्तकें मंगवाते रहते थे। क्रांति सम्बन्धी साहित्य पढऩे पर इनके मन में देश प्रेम का जोश उमडऩे लगा। वे भगवद्भक्ति की ओर भी मुड़े। देश में उन दिनों स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए लोग छटपटा रहे थे। लोग अभी प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के शहीदों की याद भूले नहीं थे। मंडी रियासत के एक युवक हरदेव का संपर्क डा. मथरादास के माध्यम से गदर पार्टी से हुआ। गदर पार्टी की योजना के अनुसार हरदेव को कांगड़ा में कार्य फरने का आदेश हुआ। हरदेव अपने शहर मंडी आए। वह गदर पार्टी का प्रमुख सदस्य बन गया।

मंडी में गदर पार्टी की स्थापना कर दी गई। बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी रास बिहारी लाल बोस पंजाब के क्रांतिकारियों के बुलावे पर जनवरी, 1915 में अमृतसर आए। रानी खैरगढ़ी ने भाई हिरदा राम को बम बनाने के प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए रास बिहारी बोस के पास भेजा। बोस ने वायसराय पर बम फेंका था तथा वे दिल्ली और लाहौर बम षड्यंत्र के भी अभियुक्त थे। बम बनाने का काम कठिन तथा जोखिम भरा था। इस कार्य के लिए परमानंद, डा. मथरा सिंह और भाई हिरदा राम चुने गए। भाई हिरदा राम बिहारी बोस के विश्वासपात्र तथा निकटतम साथी बन गए। गदर पार्टी ने 21 फरवरीए 1915 को गदर का दिन निश्चित किया परन्तु बाद में यह तारीख बदल कर 19 फरवरी कर दी गई।

क्रांतिकारियों के एक साथी कृपाल सिंह ने इस तिथि की सूचना पुलिस को दे दी थी अत: तिथि में परिवर्तन किया गया। क्रान्तिकारियों को सांकेतिक भाषा में तार भेजे गए परन्तु सरकार को उनकी गतिविधियों का पता चल गया। अत: भाई हिरदा राम तथा साथियों को गिरफ्तार करके लाहौर सैंट्रल जेल भेज दिया गया। हिरदा राम बमों के साथ पकड़ा गया था। 26 फरवरी को हिरदा राम की पुस्तकें तथा कपड़े एक मकान पर छापा मारने के बाद पुलिस के हाथ लगे। लाहौर सैंंट्रल जेल में क्रांतिकारियों के विरूद्ध 26 अप्रैल 1915 को मुकद्दमा चला। इस लाहौर बम कांड में 81 अपराधियों पर सरकार बनाम आंनद किशोर तथा अन्यों पर मुकद्दमा चलाया गया। इसमें भाई हिरवा राम अभियुक्त नंबर 27 को फांसी की सजा सुनाई गई। भाई हिरदा राम की नाबालिग पत्नी सरला देवी की अपील पर वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने भाई हिरदा राम की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। उन्हें काले पानी की सजा देकर अंडेमान की सेलल्यूर जेल भेज दिया। जहो उनका परिचय वीरसावरक के साथ हुआ। अंडेमान के बाद भाई हिरदा राम मद्रास जेल में सजा काटने के बाद 1929 को वापस अपने शहर मंडी लौटे। 21 अगस्त 1965 को इस महान देश भक्त का प्राणांत हो गया।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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