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नेपाल के पूर्व मंत्री एवं सांसद 23 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में हाई कोर्ट से बरी, जेल से रिहा

मोहम्मद आफताब आलम

काठमांडू, 29 मई (Udaipur Kiran) । बम बनाने के दौरान घायल हुए 23 लोगों को ईंटे की जलती हुई भट्टी में जिंदा जला देने के संगीन आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नेपाली कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री मोहम्मद आफताब आलम को जनकपुर हाई कोर्ट की बीरगंज पीठ ने बरी कर दिया है। हाई कोर्ट का आदेश आते ही आलम को काठमांडू जेल से रिहा कर दिया गया।

दरअसल, आरोप है कि नेपाल में 28 मई, 2008 को हुए चुनाव के दौरान रौतहट से नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद आफताब आलम ने मतदाताओं को डराने और मतदान केंद्रों पर कब्जा करने के लिए बम तैयार करने के लिए अपने घर पर कार्यकर्ताओं को काम पर रखा था। रात में वहीं पर बम विस्फोट हुआ, जिसमें त्रिलोक प्रताप सिंह (उर्फ पिंटू) और ओसी अख्तर मिया सहित 21 भारतीय मजदूर घायल हो गए। इस घटना को छिपाने के लिए और बम बनाने के सबूत को नष्ट करने के लिए आलम ने घायलों सहित 23 लोगों को जिंदा जलाने का आदेश दिया। शवों को ईंट भट्टे की चिमनी में फेंक दिया गया था।

तीन साल तक मुकदमा चलने के बाद 2022 में में रौतहट जिला न्यायालय ने आलम और उसके भाई सहित चार अन्य लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जनकपुर हाई कोर्ट की बीरगंज पीठ ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के जिला न्यायालय के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. खुशी प्रसाद थारू और अर्जुन महर्जन की खंडपीठ ने आफताब आलम को सभी आरोपों से बरी करते हुए जेल से रिहा करने आदेश दिया। हालांकि, सरकारी वकीलों का कहना है कि उनके पास आलम के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और जल्द ही हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

इस घटना में जिंदा जलाए गए दो नेपाली नागरिकों के परिवारवालों ने भी हाई कोर्ट के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है। उनका मानना है कि आफताब आलम के रिहा होने से उनके परिवार के लिए खतरा बढ़ गया है, लेकिन वो अंतिम सांस तक लड़ेंगे। मृतक त्रिलोक सिंह के पिता ने कहा कि वो अपने वकीलों से राय लेकर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे।

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(Udaipur Kiran) / पंकज दास

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