
जम्मू, 3 मई (Udaipur Kiran) । वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व समाज कल्याण मंत्री बाली भगत ने राज्य विवाह सहायता योजना में शैक्षणिक योग्यता संबंधी मानदंड पर गंभीर चिंता जताई है और इसे समाज के सबसे वंचित वर्गों के प्रति अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण बताया है। यहां जारी एक प्रेस बयान में पूर्व मंत्री ने कहा कि राज्य विवाह सहायता योजना का प्राथमिक उद्देश्य गरीब परिवारों को उनकी बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। उन्होंने कहा हालांकि, पात्रता के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8वीं कक्षा उत्तीर्ण या समकक्ष बनाना योजना के मूल उद्देश्य को विफल करता है।
बाली भगत ने इस मानदंड पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह अनजाने में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, खासकर दूरदराज और हाशिए के क्षेत्रों के कई योग्य लाभार्थियों को बाहर कर देता है, जहां शिक्षा तक पहुंच अभी भी एक चुनौती है। उन्होंने कहा जम्मू-कश्मीर में अभी भी कई गरीब परिवार हैं जो आर्थिक तंगी और उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण अपनी बेटियों को शिक्षित नहीं कर सकते। शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उन्हें सहायता देने से मना करना पूरी तरह से अनुचित है। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि इस योजना को समावेशिता और करुणा पर आधारित होना चाहिए, न कि सशर्त पात्रता पर, जो सबसे अधिक जरूरतमंदों को बाहर कर देती है।
उन्होंने जोर देकर कहा सहायता आर्थिक जरूरत पर आधारित होनी चाहिए न कि शैक्षणिक योग्यता पर। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि राज्य विवाह सहायता योजना 2 दिसंबर, 2015 को शुरू की गई थी जब बाली भगत समाज कल्याण विभाग के मंत्री थे और उस समय कोई शैक्षणिक योग्यता मानदंड नहीं था। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार से अपील करते हुए बाली भगत ने योजना के पात्रता मानदंड से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को तत्काल हटाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसी कठोर शर्तें असमानता को बढ़ाती हैं और वास्तव में जरूरतमंद परिवारों को महत्वपूर्ण सहायता से वंचित करती हैं।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
