
-सीबीआई कोर्ट ने 17 साल बाद सुनाया फैसला
चंडीगढ़, 29 मार्च (Udaipur Kiran) । सीबीआई कोर्ट ने करीब दो दशक पुराने बहुचर्चित जज नोटकांड में फैसला सुनाते हुए तत्कालीन जस्टिस निर्मल यादव समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। शनिवार काे यह फैसला चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट की विशेष जज अलका मलिक ने सुनाया।
यह पूरा मामला वर्ष 2008 का है। हाई कोर्ट की जज रहीं जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपये पहुंच गए थे। सीबीआई ने दावा किया था कि यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के चपरासी अमरीक सिंह ने 13 अगस्त 2008 को हुए इस वाकये की शिकायत दी थी। अमरीक के मुताबिक अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने कहा था कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जो डिलीवर करने हैं। बैग में 15 लाख रुपये थे।
नाम की गलती के चलते अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम पैसे लेकर हाई कोर्ट की न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की कोठी पर चला गया था। चंडीगढ़ पुलिस ने मामले में हाई कोर्ट की जस्टिस निर्मल यादव समेत पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल, बिल्डर राजीव गुप्ता, दिल्ली के बिजनेसमैन रविंदर सिंह भसीन और निर्मल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। केस की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को इसकी जांच सौंपी गई। जिसके बाद 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से उनका ट्रांसफर हो गया था। सीबीआई ने जांच के बाद कहा था कि जस्टिस निर्मल यादव समेत अन्यों पर आपराधिक केस बनता है। जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ मार्च 2011 में जब सीबीआई ने चार्जशीट दायर की थी तो वह उत्तराखंड हाई कोर्ट की जज थीं। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की ट्रायल पर रोक लगाने की अर्जी को रद्द करते हुए ट्रायल में देरी पैदा करने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी। इससे पहले हाई कोर्ट ने उनकी यह मांग रद्द कर दी थी। जनवरी 2014 में आरोपियों के खिलाफ सीबीआई कोर्ट ने आरोप तय किए थे।
पिछली सुनवाई में तीन आरोपी रविंद्र सिंह उर्फ रविंद्र भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह के कोर्ट में आखिरी बयान दर्ज किए गए थे जबकि पूर्व जस्टिस निर्मल यादव ने कोर्ट में अपने लिखित बयान भेजे थे। इसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों की गवाहियां बंद कर फैसले के लिए 29 मार्च तारीख दे दी थी। आज कोर्ट ने जस्टिस निर्मल यादव के अलावा अन्य आरोपी रविंद्र सिंह उर्फ रविंद्र भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी कर दिया।
जस्टिस निर्मलजीत ने क्या दिया था बयान?
निर्मलजीत कौर ने सीबीआई कोर्ट में 17 मई 2016 को दिए बयानों में कहा था कि 10 जुलाई 2008 को वह हाई कोर्ट की जज बनी थीं। 13 अगस्त 2008 की रात उनका चपरासी कुछ कागज लेकर आया। यह पैकेट काफी टेप से चिपका हुआ था। मैंने उसे जल्दी खोलने को कहा। इसके बाद चपरासी ने पैकेट को फाड़ दिया। उसके अंदर नोट ही नोट भरे हुए थे। मैंने तुरंत कहा कि उसे पकड़ो, जो यह लेकर आया था। इसके बाद हम बाहर की तरफ दौड़े। वह व्यक्ति अंदर ही था। वह घबरा गया। उसे पूछा कि यह किसने भेजा है तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उसे थप्पड़ मारा तो उसने कहा कि मुझे संजीव बंसल ने भेजा है। मैंने तुरंत पुलिस को फोन किया। फिर चीफ जस्टिस को इसके बारे में बताया। थोड़ी देर में मुझे संजीव बंसल का फोन आया कि यह मेरा मुंशी है। इसे जाने दो। ये पैकेट गलती से यहां ले आया। इसे उसने किसी और निर्मल सिंह को देना था। संजीव को मैं पहले से जानती थी। मैंने उसे यह भी कहा कि आज तक ऐसी गलती नहीं हुई तो फिर मेरे जज बनते ही ऐसा क्यों हुआ?
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(Udaipur Kiran) शर्मा
