पालमपुर, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने टांडा अस्पताल की बदतर हालत पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि एक ओर हिमाचल सरकार के दो वर्ष के शानदार कार्यकाल का जश्न अखबारों में सुर्खियां बटोर रहा है, वहीं एक मीडिया रिपाेर्ट में टांडा अस्पताल की दुर्दशा और मरीजों की पीड़ा से भरी खबरें इस जश्न पर सवाल खड़े कर रही हैं।
शांता कुमार ने बुधवार काे एक बयान जारी कर कहा कि टांडा अस्पताल की बदइंतजामी और मरीजों की परेशानी के समाचार लगातार आते रहते हैं। अस्पताल में सिटी स्कैन और एमआरआई के लिए मरीजों को तीन महीने तक इंतजार करना पड़ता है और फिर रिपोर्ट के लिए भी 20-25 दिन का इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि कई मरीज रिपोर्ट न मिलने की शिकायतें कर रहे हैं, जिससे उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है। शांता कुमार ने खुलासा किया कि लगभग आठ साल पहले उन्होंने अपनी सांसद निधि से और एक निगम के सीएसआर फंड से टांडा अस्पताल में सराय निर्माण के लिए 2.5 करोड़ रुपये दिलवाए थे। इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और मैंने मिलकर किया था। मुख्यमंत्री ने एक साल में निर्माण पूरा होने की घोषणा की थी लेकिन आठ साल बाद भी यह पूरी तरह शुरू नहीं हो पाया है।
शांता कुमार ने भावुक होते हुए बताया कि कोविड महामारी के दौरान जब उनकी धर्मपत्नी संक्रमित हुईं तो उन्हें टांडा अस्पताल में पांच दिन रहना पड़ा। उन पांच दिन में उन्होंने अस्पताल की बदहाल व्यवस्था को नजदीक से देखा। उन्होंने कहा कि आज भी वह अनुभव याद करता हूं तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। मेरे बच्चे आज भी मुझसे पूछते हैं कि धर्मपत्नी को चंडीगढ़ के किसी अच्छे अस्पताल में क्यों नहीं ले गए लेकिन इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं है।
शांता कुमार ने कहा कि एक दानी सज्जन ने टांडा अस्पताल के लिए भूमि दी और सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, फिर भी हर पंद्रह दिन में अस्पताल की दुर्दशा की खबरें सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पास अपना अलग निर्माण विभाग नहीं है, लेकिन मैंने विवेकानंद ट्रस्ट के लिए सीएसआर फंड से 22 करोड़ रुपये लेकर सभी काम पूरे कराए। सरकार की इस नाकामी का कब अंत होगा? शांता कुमार ने टांडा अस्पताल की हालत सुधारने के लिए सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की है।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला