Uttrakhand

पचास हजार कुंतल पिरूल इकठ्ठा करवाएगा वन विभाग

पौड़ी गढ़वाल, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने चीड की पत्तियों यानी पिरूल के एकत्रीकरण को लेकर योजना बनाई है। अकेले गढ़वाल डिवीज़न में ही 50 हजार कुंतल पिरूल को एकत्र करने का टारगेट रखा गया है। यदि कोई भी स्वयं सेवी संस्था, फेडरेशन आदि पिरूल को एकत्र करती है तो उसे 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भी धनराशि मिलेगी। जंगलों की आग को लेकर सबसे सवेदनशील पिरूल ही माना जाता है।

वन विभाग के गढ़वाल डिवीज़न ने इसको लेकर रोड मैप बनाया है। पिरूल एकत्रीकरण को सरल करने, स्थानीय समुदायों को इससे जोड़ने और वनाग्नि पर अंकुश लगाने को लेकर नियंत्रण में इसकी भूमिका को लेकर डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध की अगुवाई में समंवय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में वन विभाग सहित ग्राम्य विकास, रीप, स्वयं सहायता समूह, उद्यमियों ने हिस्सा लिया। डीएफओ ने बताया कि करीब 40 फीसदी से अधिक क्षेत्रफल चीड के ही जंगल फैले हुए है। हर गांव के लिए पिरूल एकत्रीकरण हेतु ग्राम के राजस्व सीमा तक का क्षेत्र व उससे जुड़े वन क्षेत्र को चिह्नित किया गया है, जिससे पिरूल एकत्रीकरण व्यवस्थित ढंग से किया जा सके।

बताया कि पिरूल एकत्रीकरण महिलाओं के लिए एक सशक्त रोजगार साधन भी बनेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। पिरूल के अत्यधिक ज्वलनशील होने की वजह से इसके नियोजित एकत्रीकरण की जरूरत हो गई हैं। पिरूल के बेहतर व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक उद्यमियों को सीएलएफ के माध्यम से कार्य करने के लिए भी प्रेरित किया गया। बैठक में दीवा बिक्रेट्स धुमाकोट, अम्बे फाईटो एक्स्ट्रैक्टस प्राईवेट लिमिटेड, फ्यूजन पैक्ट इंजीनियरिंग लिमिटेड, कान्हा इन्टरप्राईजेज ने भी हिस्सा लिया। बैठक में डीडीओ मनिवंदर कौर, जिला समवंय रीप कुलदीप, एसएचजी, सीएलएफ के प्रतिनिधियों के साथ ही वन विभाग के अफसरों ने हिस्सा लिया।

(Udaipur Kiran) / कर्ण सिंह

Uttrakhand

पचास हजार कुंतल पिरूल इकठ्ठा करवाएगा वन विभाग

पौड़ी गढ़वाल, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने चीड की पत्तियों यानी पिरूल के एकत्रीकरण को लेकर योजना बनाई है। अकेले गढ़वाल डिवीज़न में ही 50 हजार कुंतल पिरूल को एकत्र करने का टारगेट रखा गया है। यदि कोई भी स्वयं सेवी संस्था, फेडरेशन आदि पिरूल को एकत्र करती है तो उसे 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भी धनराशि मिलेगी। जंगलों की आग को लेकर सबसे सवेदनशील पिरूल ही माना जाता है।

वन विभाग के गढ़वाल डिवीज़न ने इसको लेकर रोड मैप बनाया है। पिरूल एकत्रीकरण को सरल करने, स्थानीय समुदायों को इससे जोड़ने और वनाग्नि पर अंकुश लगाने को लेकर नियंत्रण में इसकी भूमिका को लेकर डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध की अगुवाई में समंवय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में वन विभाग सहित ग्राम्य विकास, रीप, स्वयं सहायता समूह, उद्यमियों ने हिस्सा लिया। डीएफओ ने बताया कि करीब 40 फीसदी से अधिक क्षेत्रफल चीड के ही जंगल फैले हुए है। हर गांव के लिए पिरूल एकत्रीकरण हेतु ग्राम के राजस्व सीमा तक का क्षेत्र व उससे जुड़े वन क्षेत्र को चिह्नित किया गया है, जिससे पिरूल एकत्रीकरण व्यवस्थित ढंग से किया जा सके।

बताया कि पिरूल एकत्रीकरण महिलाओं के लिए एक सशक्त रोजगार साधन भी बनेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। पिरूल के अत्यधिक ज्वलनशील होने की वजह से इसके नियोजित एकत्रीकरण की जरूरत हो गई हैं। पिरूल के बेहतर व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक उद्यमियों को सीएलएफ के माध्यम से कार्य करने के लिए भी प्रेरित किया गया। बैठक में दीवा बिक्रेट्स धुमाकोट, अम्बे फाईटो एक्स्ट्रैक्टस प्राईवेट लिमिटेड, फ्यूजन पैक्ट इंजीनियरिंग लिमिटेड, कान्हा इन्टरप्राईजेज ने भी हिस्सा लिया। बैठक में डीडीओ मनिवंदर कौर, जिला समवंय रीप कुलदीप, एसएचजी, सीएलएफ के प्रतिनिधियों के साथ ही वन विभाग के अफसरों ने हिस्सा लिया।

(Udaipur Kiran) / कर्ण सिंह

Most Popular

To Top