कुशीनगर, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । कुशीनगर के बुद्ध पीजी काॅलेज में बन रहे भिक्षु चंद्रमणि पालि भाषा अध्ययन केंद्र में अगले सत्र से प्रवेश शुरू हो जायेगा। यहां बौद्ध देश म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम व थाइलैंड के छात्र भी अध्ययन कर सकेंगे। शुरुआती दौर में स्नातक में प्रवेश होगा। तत्पश्चात स्नातकोत्तर की कक्षाएं भी चलेगी। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत किसी महाविद्यालय में यह पालि भाषा का पहला अध्ययन केंद्र होगा।
16 जून को पालि भाषा भवन का शिलान्यास गोरखपुर विवि की कुलपति प्रो. पूनम टण्डन ने किया था। बुद्ध पीजी काॅलेज कुशीनगर शिक्षण संस्थान की स्थापना वर्ष 1954 में इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन लैंग्वेजेज के रूप में हुई थी। किंतु तात्कालिक कारणों से यहां विदेशी भाषा की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। वर्तमान में यहां वाणिज्य, विज्ञान, मानविकी विषय की स्नातक व स्नातकोत्तर की कक्षाएं चल रही हैं। अब लगभग छह दशक बाद पुनः पालि भाषा के साथ साथ अन्य भाषाओं की पढ़ाई की आस पुनः जगी है। अध्ययन केंद्र के निर्माण पर खर्च हो रही धनराशि का वहन कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष व काॅलेज प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष भदंत ए बी ज्ञानेश्वर कर रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से फंड व शिक्षकों की नियुक्ति होने तक भिक्षु ज्ञानेश्वर अध्ययन केंद्र में शिक्षण व संसाधनों की स्थापना पर आने वाला व्यय भी वहन करेंगे।
प्राचार्य प्रो.विनोद मोहन मिश्र ने बताया कि आगामी सत्र से पालि की कक्षाएं प्रारंभ हो जाएंगी। पूरी कोशिश होगी कि समन्वित प्रयासों व सहयोग से यहां भविष्य में पालि के अतिरिक्त चीनी, तिब्बती, बर्मी, सिंहली आदि भाषाओं के शिक्षण प्रारंभ हो जाएं। विदेशी छात्रों के आने से अंतर्राष्ट्रीय संबंध में प्रगाढ़ता आयेगी।
प्राचीन भारत की भाषा है पालि: पालि प्राचीन भारत की एक भाषा है। पालि का शाब्दिक अर्थ पवित्र रचना है। पालि साहित्य में मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध के उपदेशों और बौद्ध ग्रंथों का संग्रह है। यह भाषा म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, थाइलैंड में प्रचलित रही है। भदंत एबी ज्ञानेश्वर इस भाषा के संरक्षण संवर्धन के लिए सरकार, यूजीसी और विश्विद्यालयों को समन्वित प्रयासों की जरूरत ह
(Udaipur Kiran) / गोपाल गुप्ता