मुंबई, 4 मार्च (हि.सं.)। बांबे हाई कोर्ट ने नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर महाराष्ट्र सरकार औऱ सिडको को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि भूमि मालिकों की बात सुने बिना भूमि अधिग्रहण अधिनियम में मनमाने ढंग से नए मानदंड शामिल करना गैर-कानूनी है। साथ ही कोर्ट ने 20 मई 2015 को इस मानदंड को कानून में शामिल करने की घोषणा और उसके आधार पर 7 जुलाई 2017 को दिए गए फैसले को भी रद्द कर दिया है।
पनवेल के वहल गांव के किसानों ने पक्षों की सुनवाई किए बिना भूमि अधिग्रहण करने के मानदंड के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर न्यायाधीश महेश सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। नए मानदंडों के तहत याचिकाकर्ताओं की भूमि हवाई अड्डे से संबंधित सहायक व संबद्ध कार्यों के लिए अधिग्रहित की गई थी। इन कार्यों में मुख्य रूप से एसटीपी परियोजना शामिल है। हालांकि भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 5ए के तहत संबंधित भूमि मालिक का पक्ष सुनना अनिवार्य है। अदालत ने सिडको और सरकार के दावे को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि प्रतिवादी इस नए मानदंड का समर्थन नहीं कर पाए हैं। भूमि मालिकों का यह मौलिक अधिकार है कि उनकी भूमि का जबरन अधिग्रहण किए जाने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
तत्काल भूमि अधिग्रहण का मानदंड केवल गंभीर और अत्यावश्यक मामलों में ही लागू किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों ने इस मामले में इस स्थिति को स्पष्ट नहीं किया है। न तो सिडको और न ही राज्य सरकार ने मानदंडों के कार्यान्वयन के संबंध में कोई आधिकारिक निर्देश या आदेश जारी किए हैं। अदालत ने मामले को ठीक से न निपटाने के लिए प्राधिकारियों की भी आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने नए मानदंडों के तहत की गई कार्यवाही को अवैध घोषित किया।
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(Udaipur Kiran) / वी कुमार
