
– मत्स्यपालक मेला और जातीय जनगणना गोष्ठी में गिनाई सरकारी उपलब्धियां
– निषाद पार्टी ने सरकार से ‘मछुआ आयोग’ बनाने की मांग फिर दोहराई
मीरजापुर, 30 मई (Udaipur Kiran) । नदी किनारे बसे लोगों ने सैकड़ों साल से समाज को मछली दी है, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला? इस सवाल के साथ मीरजापुर आए निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्य सरकार के मंत्री डॉ. संजय निषाद ने मछुआ समाज के हक और अधिकार की पैरवी की। उत्तर प्रदेश सरकार और निषाद पार्टी के संयुक्त तत्वावधान में सिटी क्लब मैदान स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित मत्स्यपालक मेला और जातीय जनगणना विषयक गोष्ठी के मंच से डॉ. निषाद ने जहां सरकार की योजनाओं की चर्चा की, वहीं मछुआ समाज के लिए मछुआ आयोग की मांग को भी पुरजोर ढंग से दोहराया।
हमें गिना नहीं गया, इसलिए पीछे रह गए
डॉ. संजय निषाद ने कहा कि हमारा समाज मेहनतकश है। देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है, लेकिन हमें वर्षों से हाशिए पर रखा गया। जब तक गिनती नहीं होगी, तब तक हिस्सेदारी नहीं मिलेगी। उन्होंने जातीय जनगणना में मछुआ समुदाय की उपजातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की मांग की। इस विषय पर गोष्ठी में विचार रखे गए।
योजनाओं से बदल रहा मछुआ समाज का जीवन
गोष्ठी में भाग ले रहे सैकड़ों मत्स्यपालकों को डॉ. निषाद ने एक-एक योजना की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार केंद्र और राज्य सरकार मिलकर मछुआरों को मुख्यधारा से जोड़ने में जुटी हैं। उन्होंने योजनाओं का उल्लेख भी किया। जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, जो मछली पालन से जुड़े हर चरण को आर्थिक सहायता से जोड़ने वाली यह योजना आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार बनती जा रही है। मुख्यमंत्री मत्स्य योजना भी स्थानीय स्तर पर मत्स्य व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है। निषाद राज बोट सब्सिडी योजना नाव से जुड़ा व्यवसाय करने वाले मछुआरों के लिए खास है। इसमें सब्सिडी और बीमा दोनों शामिल हैं। दुर्घटना बीमा, शैक्षणिक सहायता, विवाह अनुदान योजना मत्स्यपालकों के परिवार के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं हैं, जो उनके जीवन में स्थायित्व ला रही हैं।
मछुआ समाज अब बेबस नहीं, सक्षम और संगठित है
कार्यक्रम में डॉ. निषाद ने कहा कि आज का मछुआ समाज केवल जल में जाल नहीं डाल रहा, वह अब डिजिटल इंडिया के साथ चल रहा है। बच्चों को शिक्षा दिला रहा है, बीमा योजना का लाभ ले रहा है और अब अपनी पहचान के लिए आंदोलन कर रहा है।
राजनीतिक पहचान भी जरूरी
उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल योजना से विकास नहीं होगा, राजनीतिक हिस्सेदारी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारी संख्या ज्यादा है, लेकिन जनगणना में गिनती नहीं हो रही। जब तक मछुआ समाज की उपजातियों की गिनती नहीं होगी, तब तक न आरक्षण मिलेगा, न बजट।
मंच से उठी आयोग की मांग
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सरकार से मछुआ आयोग के गठन की पुरानी मांग को दोहराया और कहा कि यह आयोग मछुआ समाज की विशेष परिस्थितियों को समझेगा। उनके हितों की रक्षा करेगा और नीति निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
जन-जन में जागरूकता फैलाने का आह्वान
डॉ. संजय निषाद ने उपस्थित लोगों से अपील की कि वे समाज में जागरूकता फैलाएं, योजनाओं का लाभ लें और जातीय गणना के मुद्दे को लेकर एकजुट हों। उन्होंने कहा कि समाज को अब भीख नहीं, अधिकार चाहिए। योजनाएं हैं, पर उन्हें जानना और अपनाना जरूरी है।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
