हरिद्वार, 30 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि प्रकृति परमात्मा की गोद है, जिससे प्यार करने वाला व्यक्ति सुखद और चिरायु जीवन की अनुभूति करता है। वे आज लक्सर रोड के गंगा भोगपुर- तिलकपुरी में कृषकों को प्राकृतिक खेती की ओर लौटने के सुझाव दे रहे थे।
देश में अंधाधुंध बढ़ रहे शहरीकरण और गांव की सिकुड़ती आबादी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी केंद्र और राज्य सरकारों ने अब गांव को सुविधासंपन्न बना दिया है। अब आवागमन के लिए सड़कें और विद्युत व्यवस्था लगभग 80 प्रतिशत गांवों में उपलब्ध है, फिर भी किसान गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे हैं।
अन्नदाता कृषकों को भगवान का सपूत बताते हुए उन्होंने कहा कि अन्न और जल परमात्मा की करेंसी हैं, जिनके अंतःकरण में प्रविष्ट होने पर ही आत्मा चैतन्य होती है। अन्न, जल और वायु के बिना मानव जीवन संभव ही नहीं है और गांव में यह तीनों वस्तुएं शुद्ध रूप में उपलब्ध होती हैं।
कोरोनाकाल की भयावहता का शहर एवं गांव का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि गांव की तुलना में शहरी व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसका मुख्य कारण यही है कि शहरों की हवा, भोजन और जल तीनों अशुद्ध हैं।
ग्रामीण जीवन को शहरों की तुलना में उत्तम और स्वास्थ्य कारक बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी कृषक गोपालन कर शुद्ध देसी खाद का निर्माण करें और रासायनिक कृषि छोड़कर ऑर्गेनिक युग की ओर लौटें, तभी देश और समाज का कल्याण होगा ।
इस अवसर पर तीन गांवों के दो दर्जन से अधिक कृषक उपस्थित थे, जिन्होंने वयोवृद्ध संत की प्रेरणा से प्रभावित होकर प्राकृतिक खेती करने का संकल्प लिया।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला