काठमांडू, 29 सितंबर (Udaipur Kiran) । नेपाल में बाढ़ का कहर ऊर्जा क्षेत्र पर भी देखने को मिला है। करीब 1100 मेगावाट बिजली उत्पादन का काम बंद हो गया है। इस बाढ़ के कारण नेपाल के ऊर्जा क्षेत्र को 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जहां बाढ़ से पहले तक नेपाल के तरफ से भारत को करीब 1000 मेगावाट तक की बिजली का निर्यात किया जाता था, वहीं शनिवार से नेपाल में बिजली का उत्पादन बंद होने और राष्ट्रीय प्रसारण लाइन में अवरोध आने के बाद इस समय करीब 300 मेगावाट बिजली का आयात करना पड़ रहा है।
रविवार को ऊर्जा मंत्रालय में शीर्ष अधिकारियों की बैठक के बाद आयोजित पत्रकार सम्मेलन में ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का ने कहा कि बाढ़ और भूस्खलन के कारण कई जल विद्युत परियोजनाओं का उत्पादन बिलकुल ठप पड़ गया है। जिस कारण से इस समय देश के अधिकांश हिस्सों में बिजली की सप्लाई नहीं की जा रही है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रिड में समस्या आने के कारण कई जिले पिछले दो दिनों से अंधकार में ही है।
पत्रकार सम्मेलन में नेपाल विद्युत प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक कुलमान घीसिंग ने बताया कि बाढ़ के कारण विभिन्न जलविद्युत परियोजना और राष्ट्रीय ग्रिड स्थित पूरे ऊर्जा क्षेत्र को करीब 250 करोड़ रुपये के नुकसान होने का प्रारंभिक अनुमान लगाया गया है।
कार्यकारी निदेशक घीसिंग ने कहा कि सबसे अधिक नुकसान 456 मेगावाट क्षमता वाले तामाकोशी हाइड्रो पावर को हुआ है, जहां टरबाइन का एरिया पूरी तरह से पानी में डूब गया है वहीं नियंत्रण कक्ष का पूरा क्षेत्र भूस्खलन के कारण मलबे में तब्दील हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि यह आयोजना पिछले तीन दिनों से पूरी तरीके से बंद है। जिसके कारण राष्ट्रीय प्रसारण लाइन पर अत्यधिक दबाव आ गया है।
पत्रकार सम्मेलन में यह भी बताया गया है कि बाढ़ के कारण राष्ट्रीय प्रसारण लाइन के दर्जनों टावर टूट गए हैं। निजी तथा सरकारी हाइड्रो पावर कंपनियों का कुल 625 मेगावाट वाले 11 आयोजना पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसी तरह 1010 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की निर्माणाधीन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स का निर्माण कार्य पूरी तरह से रूक गया है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास