कोलकाता, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । कोलकाता के पियरलेस अस्पताल में पांच साल की एक बच्ची ने मौत के मुंह से वापस लौटकर जीवन की नई शुरुआत की है। करीब एक महीने तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद अब उसकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बच्ची एक दुर्लभ बीमारी ‘एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एन्सेफालाइटिस’ से पीड़ित थी। गड़िया की रहने वाली इस बच्ची को अचानक स्कूल से लौटने के बाद अस्वस्थता महसूस हुई। उसे सर्दी-खांसी की शिकायत हुई, जो तीन दिन तक लगातार बढ़ती गई। आखिरकार बच्ची की हालत इतनी बिगड़ गई कि वह अर्धमूर्छित हो गई। परिजनों ने उसे तत्काल एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां जांच के बाद पता चला कि वह एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एन्सेफालाइटिस से ग्रसित है।
इस बीमारी के कारण बच्ची के मस्तिष्क और फेफड़ों पर गंभीर प्रभाव पड़ा। हालत इतनी खराब हो गई कि उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। डॉक्टरों को इलाज के दौरान ‘ट्रेकिओटॉमी’ जैसी प्रक्रिया अपनानी पड़ी।
पियरलेस अस्पताल की डॉक्टर सहेली दासगुप्ता ने बताया, एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एन्सेफालाइटिस एक दुर्लभ बीमारी है, जो सामान्य वायरल संक्रमण के बाद भी हो सकती है। यह फेफड़ों और मस्तिष्क को प्रभावित करती है और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। इस बच्ची के मामले में स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन अब बिना वेंटिलेटर के उसकी स्थिति में सुधार हो रहा है।
डॉक्टरों ने यह भी कहा कि यह बीमारी बहुत दुर्लभ है और इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि, सर्दी-जुकाम, खांसी या बुखार जैसी समस्याओं में समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है।
लगभग एक महीने की कड़ी चिकित्सा के बाद बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है। हालांकि, अभी उसके हाथ-पैरों में कमजोरी है, लेकिन डॉक्टरों को उम्मीद है कि समय के साथ वह पूरी तरह ठीक हो जाएगी।
यह घटना मेडिकल साइंस की अद्भुत सफलता की मिसाल है और दिखाती है कि सही समय पर इलाज और डॉक्टरों की मेहनत किसी भी गंभीर बीमारी को हराने में सक्षम है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर