महोबा 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के जनक स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा की 23 वीं पुण्यतिथि पर बुंदेली समाज के द्वारा शुक्रवार को बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के योद्धाओं को शंकर लाल स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह व बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महामंत्री दिनेश भार्गव समेत पांच लोगों को शंकर लाल मेहरोत्रा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है।
पृथक बुंदेलखंड राज्य का सपना भले ही अभी अधूरा है लेकिन इसके लिए आंदोलन की नीव रखने वाले शंकर लाल मेहरोत्रा के प्रयासों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।जिन्होंने बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया था ।शंकर लाल मेहरोत्रा का जन्म 9 मार्च 1948 को बुंदेलखंड के झांसी के प्रतिष्ठित कारोबारी सुंदरलाल मेहरोत्रा के घर हुआ था। 17 सितंबर 1989 को बुंदेलखंड राज्य आंदोलन को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित धवर्रा से शुरू किया था। जो कि धीरे धीरे जन आंदोलन बनता जा रहा है। सन 2000 में देश में तीन नए राज्य छत्तीसगढ़ , झारखंड व उत्तराखंड तो बनाए गए । लेकिन बुंदेलखंड राज्य का सपना अधूरा ही रह गया । जिसके बाद इसी सदमे में 22 नवंबर 2001 को शंकरलाल का निधन हो गया था।
इनका हुआ सम्मान
स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा ने जिस लौ को प्रज्वलित किया वह आज भी रोशन है । आज शुक्रवार को उनकी 23 वीं पुण्यतिथि पर बुंदेली समाज के द्वारा बुंदेलखंड राज्य की लड़ाई लड़ने वाले बुंदेलियों को सम्मानित किया गया है । जिनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महामंत्री दिनेश भार्गव , बुंदेली सेना के संयोजक डॉ आश्रय सिंह ,बुंदेलखंड राज्य निर्माण समिति के अध्यक्ष रमेश दुबे, दिल्ली में रहकर प्रवासी बुंदेलखंड वासियों के लिए काम कर रहे प्रवासी बुंदेलखंड संगठन के दीनदयाल प्रजापति,पूर्व सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल आदि को शंकर लाल मेहरोत्रा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है।
सदन में फेंके थे पर्चे
बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि 1994 में मध्य प्रदेश विधानसभा और 1995 में लोकसभा में पर्चे फेंक कर शंकरलाल मेहरोत्रा ने बुंदेलखंड राज्य की प्रखर मांग की थी । सन 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने नौ साथियों सहित शंकर लाल को गिरफ्तार करवा दिया था ।जिन्हें बाद में विपक्ष के नेता नेता अटल बिहारी वाजपेई ने छुड़वाया था। आंदोलन के लिए धन की कमी पढ़ने लगी तो इन्होंने नौगांव में संचालित अपनी डिस्टिलरी फैक्ट्री बेंच दी और आंदोलन को गति देने के लिए पूरे बुंदेलखंड में सभाए धरना प्रदर्शन शुरू करवाया।
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(Udaipur Kiran) / Upendra Dwivedi