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कठुआ, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । “पंज दिन, पंज रंग, डोगरा संस्कृति संघ“ से संबंधित कार्यक्रमों की श्रृंखला के दूसरे दिन विवाह समारोह के दौरान दर्शाए गए डोगरा संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जैसे स्थानीय गीत जिन्हें सुहाग और गोहड़ी कहा जाता है)।
कॉलेज के विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। वहीं देखने वालों को ऐसा लगा जैसे वे किसी घर में बैठे हों, जहां सचमुच कोई विवाह समारोह चल रहा हो। विद्यार्थियों ने “कान“ नामक स्थानीय वाद्य यंत्र का उपयोग करके आम तौर पर विवाह के समय गाए जाने वाले गीतों को सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया और विद्यार्थियों द्वारा अपनी मधुर आवाज में गाए गए गीतों का समर्थन करने के लिए एक उल्लेखनीय संगीत तैयार किया। पूरा माहौल ऐसा हो गया जैसे ये सच में हो रहा हो। पूरा कार्यक्रम प्राचार्या डॉ. अनुपमा गुप्ता की देखरेख में आयोजित किया गया, जिन्होंने अपने भाषण में कॉलेज के छात्रों की प्रतिभा की सराहना की। पांच दिवसीय डोगरा महोत्सव के संयोजक प्रोफेसर संदीप चौधरी ने अपने संबोधन में छात्रों को इस आयोजन को वास्तव में जीवंत बनाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ अपने प्रयास और रुचि दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों और सभी संकाय सदस्यों, विशेष रूप से डोगरी की एचओडी डॉ. शालू रानी के बहुमूल्य योगदान की भी सराहना की। उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में अपना पूरा सहयोग देने के लिए आईक्यूएसी के समन्वयक प्रोफेसर अनूप शर्मा को धन्यवाद दिया। अन्य स्टाफ सदस्य डॉ. मुनीशा देवी, डॉ. मनु सैनी ने भी हमारी डोगरा संस्कृति से संबंधित इस तरह के रंगारंग समारोह के आयोजन के लिए छात्रों की सराहना की। कार्यक्रम के समापन पर कॉलेज के छात्रों ने इसे और अधिक वास्तविक डोगरा स्पर्श देने के लिए पतासा और मूंगफली और सूखे नारियल वितरित किए।
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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया
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