कठुआ, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । सरकारी जीएलडीएम डिग्री कॉलेज हीरानगर ने अपने पर्यावरण विज्ञान विभाग, आईआईसी और आईक्यूएसी के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र कठुआ, विस्तार निदेशालय शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जम्मू के सहयोग से वर्मीकम्पोस्टिंग पर पांच दिवसीय कौशल प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया था जिसका गुरूवार को समापन हुआ।
लगभग पचास विद्यार्थियों को वर्मीकम्पोस्टिंग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञ संसाधन व्यक्तियों डॉ. विशाल महाजन प्रमुख केवीके कठुआ और डॉ. अनामिका जम्वाल मुख्य वैज्ञानिक केवीके कठुआ ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यावहारिक प्रदर्शन के साथ-साथ सुंदर, सूचनात्मक, शिक्षाप्रद और नवीन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्र शिक्षार्थियों के साथ बातचीत की। कृषि विज्ञान केंद्र कठुआ द्वारा कॉलेज परिसर में एक वर्मीबेड स्थापित किया गया था जिसमें छात्रों ने स्वयं पत्ती कूड़े, कार्बनिक पदार्थ और गाय के गोबर की विभिन्न परतों को जोड़कर वर्मीबेड की स्थापना की और अंत में केंचुओं को वेमीबेड में डाला गया। संसाधन व्यक्तियों ने खाद की कटाई का भी प्रदर्शन किया। उन्होंने छात्रों को यह भी सिखाया कि उचित पैकेजिंग के बाद अपनी खाद को बेचकर उसका व्यवसायीकरण कैसे किया जाए। रिसोर्स पर्सन्स ने छात्रों को वर्मीकम्पोस्टिंग को एक उद्यम के रूप में शुरू करने के लिए प्रेरित किया और उभरते उद्यमियों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। केवीके के अमित ने भी वर्मीकम्पोस्टिंग और जैविक खेती के क्षेत्र में अपनी व्यक्तिगत सफलता की कहानी साझा करके छात्रों को प्रेरित किया। प्रशिक्षणार्थियों के बीच सहभागिता प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। महाविद्यालय द्वारा दो स्वयंसेवी छात्रों को भी नामांकित किया गया है जिन्हें कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा अग्रिम प्रशिक्षण के साथ-साथ वर्मीबेड एवं केंचुए उपलब्ध कराये जायेंगे। कॉलेज की प्राचार्य डॉ. प्रज्ञा खन्ना ने छात्रों को वर्मीकम्पोस्टिंग और जैविक खेती में एक महान कैरियर प्रशिक्षण के रूप में जीवन भर का अवसर प्रदान करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के संसाधन व्यक्तियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्रों को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वर्मीकम्पोस्टिंग शुरू करने के लिए प्रेरित किया क्योंकि अधिकांश छात्र कृषि पृष्ठभूमि से हैं और इसलिए इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने विभाग के साथ भविष्य के प्रयासों पर भी चर्चा की। पूरे प्रशिक्षण का समन्वय प्रोफेसर नीरू शर्मा एचओडी पर्यावरण विज्ञान विभाग और संयोजक इको क्लब द्वारा किया गया।
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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया