जयपुर, 03 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सांप्रदायिक दंगा मामलों की विशेष अदालत ने 24 साल पहले टोंक जिले के मालपुरा में सांप्रदायिक दंगों के दौरान हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों अब्दुल वहाब, मोहम्मद हसीब, आसिफ, फिरोज अहमद और उमर को बरी कर दिया है। पीठासीन अधिकारी श्वेता गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर हत्या का आरोप साबित नहीं कर सका है। ऐसे में आरोपियों को दोषमुक्त किया जाता है।
अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 10 जुलाई, 2000 को मालपुरा में दो संप्रदायों के बीच दंगा हुआ था। इस दौरान चुंगी नाके के पास कैलाश माली की हत्या कर दी गई थी। घटना को लेकर मृतक के बेटे मनोज ने दो दिन बाद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसे जांच के लिए बाद में सीआईडी सीबी को भेजा गया था। सीआईडी सीबी ने मामले में जांच कर 9 अक्टूबर, 2000 को अदालत में आरोप पत्र पेश किया था। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता शौकत आलम व अन्य ने बताया कि मृतक कैलाश एक अन्य हत्याकांड के मुकदमे में आरोपी था। प्रकरण में उन्हें फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से ऐसा एक भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया गया, जिसने हत्या होते हुए देखी हो। एफआईआर कराने वाले मनोज ने भी घटना नहीं देखी थी। उसने दूसरे लोगों की सूचना के आधार पर घटना के दो दिन बाद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ऐसे में उन्हें बरी किया जाए। सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को बरी कर दिया है। गौरतलब है कि अदालत ने दंगों के दौरान घटना के दिन मरे हरिराम के आठ हत्यारों को गत दिनों आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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(Udaipur Kiran)