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हुसैन सागर झील पर 26 फरवरी से पहली सिटी-बेस्ड अस्मिता रोइंग लीग का आयोजन

अस्मिता रोइंग लीग

हैदराबाद, 25 फरवरी (Udaipur Kiran) । देश में पहली बार रोइंग खेल को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक हुसैन सागर झील पर अस्मिता रोइंग लीग का आयोजन किया जा रहा है। यह लीग 26 फरवरी से शुरू होगी और इसे भारत सरकार की खेलो इंडिया योजना का समर्थन प्राप्त है।

इस प्रतिष्ठित लीग में आठ टीमें– भोपाल वेव्स क्वीन, चेन्नई रानिस, कोचीन क्वीन, कटक रोइंग, डेक्कन क्वीन पुणे, हैदराबाद क्वीन, कोलकाता आर-ओर्स और लुधियाना टीम रोइंग भाग ले रही हैं। इस स्पर्धा में कुल 250 लड़कियां हिस्सा लेंगी, जो अंडर-19 और अंडर-23 आयु वर्गों में पांच अलग-अलग इवेंट्स में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित इस प्रतियोगिता में सिंगल स्कल्स (W1x), डबल स्कल्स (W2x), क्वाड्रपल स्कल्स (W4x), कॉक्सलेस पेयर्स (W2) और कॉक्सलेस फोर्स (W4) जैसे पांच स्पर्धाओं में शीर्ष 6 खिलाड़ियों को आकर्षक नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।

भारत के राष्ट्रीय मुख्य कोच और द्रोणाचार्य अवार्डी इस्माइल बैग, जो अब तक पांच ओलंपिक और सात एशियाई खेलों में भारतीय टीम के साथ रहे हैं, ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महिला खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहे हैं, और अस्मिता रोइंग लीग उन्हीं में से एक है। पहली बार इस खेल में सिटी-बेस्ड लीग आयोजित की जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि 2036 के समर ओलंपिक्स तक हमारी महिला टीम सिर्फ क्वालिफाई ही न करे, बल्कि मेडल की दावेदार भी बने।

2023 के हांगझो एशियाई खेलों में भारत के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली और 38वें राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली वर्षा केबी का मानना है कि यह लीग महिलाओं और युवा लड़कियों को पानी के खेलों की ओर आकर्षित करने का बेहतरीन मंच है। उन्होंने कहा, मैं 2015 से रोइंग कर रही हूं, लेकिन इस तरह की प्रतियोगिता कभी नहीं हुई। यह लीग हमें अपने कौशल और प्रतिभा को दिखाने का बड़ा अवसर देती है।

वहीं, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) एनसीओई जगतपुर में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली और कटक टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली मोनिका भदौरिया ने इस लीग की सराहना करते हुए कहा कि यह लड़कियों को पुरुषों के बराबरी पर लाने का बेहतरीन मंच है। उन्होंने कहा, रोइंग पुरुष-प्रधान खेल है और इसमें भारतीय सेना के खिलाड़ी ही शीर्ष पर रहते हैं, लेकिन इस लीग से लड़कियों को अपनी क्षमता दिखाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला करने का अनुभव मिलेगा। अगर इस तरह की प्रतियोगिताएं नियमित रूप से होती रहीं, तो भारतीय महिलाएं रोइंग में भी विश्व स्तरीय प्रदर्शन कर सकेंगी।

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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