जयपुर, 27 जनवरी (Udaipur Kiran) । माघ मास की अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, 29 जनवरी को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्धि योग के संयोग में पड़ेगी। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है, जिसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज सहित अन्य तीर्थ स्थलों की ओर प्रस्थान कर चुके हैं। मौनी अमावस्या सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाने के बाद का पहला महापर्व है, जिसे स्नान, दान और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र मिश्रा के अनुसार, सूर्य का उत्तरायण 14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ शुरू हो चुका है। मौनी अमावस्या पितरों की पूजा और जन्म कालिक दोषों की निवृत्ति के लिए शुभ मानी जाती है। जिनका जन्म अमावस्या तिथि पर हुआ है, उन्हें इस दिन विशेष अनुष्ठान करने से जीवन में अनुकूलता प्राप्त हो सकती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर पितरों के निमित्त धूप-दीप जलाने, तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही अन्नदान, वस्त्रदान और पात्रदान का संकल्प लेकर जरूरतमंदों को दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन परिवार में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
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(Udaipur Kiran)