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नई दिल्ली, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि नए आपराधिक कानूनों के पुराने आपराधिक कानूनों के तहत दर्ज एफआईआर के मामले में भी अगर कोई अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई या उसके बाद दायर की जाती है तो वो याचिका नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत सुनी जाएगी। जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 531(2)(ए) का हवाला देते हुए ये बातें कही।
दरअसल हाई कोर्ट एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता आरोपित के खिलाफ 18 मई को पुराने कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 328 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। हाई कोर्ट ने साफ किया कि अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई के बाद दायर की गई है, इसलिए वो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत ही दायर की जानी चाहिए थी। कोर्ट ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर अग्रिम जमानत याचिका को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 के प्रावधान के तहत सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया।
कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वो शिकायतकर्ता को भी सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दे क्योंकि उसका ये अधिकार है कि उसका पक्ष भी सुना जाए। हालांकि हाई कोर्ट ने आरोपित के खिलाफ कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने आरोपित को निर्देश दिया कि वो जांच अधिकारी की ओर से जांच के लिए बुलाये जाने पर जांच में शामिल होगा।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह / प्रभात मिश्रा
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