Chhattisgarh

सेवानिवृत आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज 

सेवानिवृत आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा

रायपुर, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) ।भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू)ने सोमवार देर शाम सेवानिवृत आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ नागरिक आपूर्ति निगम में बड़े घोटाले के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल के दौरान 13,301 राशन दुकानों में राशन वितरण में गड़बड़ी का आरोप है। कुल घोटाले का आंकड़ा एक हजार करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है।

एफआईआर इन तीनों आरोपितों के वाट्सएप चैट और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रतिवेदन के आधार पर नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में बड़े वित्तीय घोटाले के आरोपों के संबंध में दर्ज की गई है।एफआईआर के अनुसार , प्रकरण में व्हाट्सएप चैट एवं उनके साथ संलग्न दस्तावेज़ों के अवलोकन और गोपनीय सत्यापन एवं सूचना संकलन पर प्रथम दृष्टया पाया गया कि वर्ष 2019 से 2020 तक लगातार डॉक्टर आलोक शुक्ला एवं अनिल टुटेजा ने छत्तीसगढ़ सरकार में लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए अपने -अपने पदों का दुरुपयोग किया । तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को असम्यक लाभ इस आशय से दिया गया कि वे लोक कर्तव्य को अनुचित रुप से करने प्रेरित किया जा सके। आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए राशन वितरण में गड़बड़ी की और हाईकोर्ट में अवैध तरीके से अग्रिम जमानत हासिल की।यह प्रार्थमिकी ईओडब्ल्यू के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश सिंह ठाकुर द्वारा दर्ज कराई गई है।कहा गया है कि आरोपितों ने आपराधिक षड्यंत्र कर दस्तावेजों में बदलाव किया है तथा गवाहों को अपने बयान बदलने के लिए दबाव बनाया।

एफआईआर में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम जमानत प्राप्त की गई। जिसका समर्थन करने वाले कई सबूत ईओडब्ल्यू को मिले हैं। जांच में पाया गया कि 2019 से 2020 के बीच, डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग करते हुए सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे वे अपने कर्तव्यों का पालन गलत तरीके से कर सकें।ईओडब्ल्यू की एफआईआर में बताया गया है कि साल 2019-20 में हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम जमानत भी हासिल की गई है।जिसका वाट्सएप चैट समेत कई सबूत ईओडब्ल्यू के हाथों लग चुका है। ईओडब्ल्यू में तीनों आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7क,8,13(2) और आईपीसी की धारा 182,211,193,195-ए,166 ए और 120 बी धाराएं लगाई गई है।

(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

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