नैनीताल, 24 सितंबर (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड को निर्देश दिया है कि किसी अधिवक्ता के खिलाफ कदाचार की शिकायत का शुल्क 1750 से अधिक न लिया जाए। यह शुल्क बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तय किया है। उत्तराखंड बार काउंसिल ने पूर्व में ऐसे मामलों में 20 लोगों से 5500 रुपये शुल्क लिया है जिसमें से बार काउंसिल 1750 रुपये काटकर बांकी रुपये शिकायतकर्ताओं को लौटाएगी।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार मेरठ निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक सत्यदेव त्यागी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि अधिवक्ता के खिलाफ किसी मामले में उसके मुवक्किल की ओर से कदाचार की शिकायत करने पर बार काउंसिल आफ उत्तराखंड की ओर से फीस 750 रुपये से बढ़ाकर 5,500 रुपये की है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत को सूचित किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 1750 रुपये की फीस तय की है और बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का उल्लंघन कर रहा है। इस मामले में बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड ने कोर्ट को अवगत कराया कि अब शिकायतकर्ताओं से 1750 रुपये ही शुल्क लिया जाएगा और जिन 20 शिकायतकर्ताओं से अधिक शुल्क लिया गया है उसे लौटाया जाएगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड बार काउंसिल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से निर्धारित फीस से अधिक फीस नहीं ले सकती। इसके अलावा अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन 20 मामलों में बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड पहले ही शिकायत शुल्क के रूप में 5500 रुपये ले चुका है। उन मामलों में अतिरिक्त राशि यथाशीघ्र वापस कर दी जाए।
(Udaipur Kiran) / लता