– उमस भरी गर्मी में प्रभावित हो रही फसलें, धान के खेतों पर पर्याप्त पानी रखना बनी चुनौती
कानपुर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश में वैसे भी अबकी बार मानसून देर से दस्तक दिया और शुरुआत में तो अच्छी बारिश हुई, लेकिन इधर मानसून की ट्रफ रेखा बराबर दक्षिण भारत की ओर बनी हुई है। ऐसे में बारिश नाममात्र की ही हो रही है और तापमान बढ़ने से उमस भरी गर्मी बढ़ रही है, जिससे फसलें सूखने लगी हैं। वहीं धान के खेतों पर पर्याप्त पानी बरकरार रखना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है और किसान बारिश को लेकर चिंतित है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने मंगलवार को बताया कि 28 जून को मॉनसून दस्तक के बाद दो जुलाई को पूरे कानपुर मंडल में मानसून छा गया था, लेकिन ज्यादातर जिलों में झमाझम वर्षा दो दिन ही हुई। वहीं एक जून से लेकर 16 जुलाई तक की बात करें तो कानपुर में अब तक 173.7 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई है।
इधर, नौ दिन का मॉनसून ब्रेक हो चुका है यदि अब आगे भी ऐसी स्थित बनती है तो चिंताजनक और किसानों के लिए मुश्किल हो सकती है। धान की फसल के लिए इस समय रोपाई का पीक पखवाड़ा चल रहा है, यदि इसी तरह 2-3 दिन तक बारिश और नहीं होती है तो निश्चित रूप से धान की रोपाई प्रभावित हो सकती है और जिन किसानों ने एक जून और चार जून की बारिश क्रमश: 80.8, 44.2 मिमी बारिश होने पर रोपाई कर दी थी उनको लगातार हर दूसरे या तीसरे दिन सिंचाई करनी पड़ रही है। इससे फसल की लागत बढ़ जाती है और हर जगह सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। कभी बिजली रहती है कभी बिजली नहीं रहती है ट्यूबेल भी सिंचाई करने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे में फसलों को लेकर किसानों की चिंता बढ़ना लाजिमी है।
(Udaipur Kiran) / अजय सिंह / मोहित वर्मा