HimachalPradesh

28 दिनों से धरने पर बैठे किसान, मुआवजे की मांग को लेकर सरकार से गुहार

नाहन, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । देहरादून-पांवटा-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग-72 पर भूमि अधिग्रहण को लेकर पिछले 28 दिनों से धरने पर बैठे किसान अब टूटने लगे हैं। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि सरकार, स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है जिससे आक्रोश और पीड़ा बढ़ती जा रही है।

खुले आसमान के नीचे महिलाएं, बुजुर्ग किसान और छोटे-छोटे बच्चे अपने घर और जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिन ज़मीनों पर आज ये लोग धरने पर बैठे हैं, कभी वहाँ तीन मंजिला मकान हुआ करते थे। एक पीड़ित दुकानदार ने बताया कि उसकी दुकान से हर महीने ₹10,000 की आमदनी होती थी, वहीं एक अन्य परिवार को किराए से ₹30,000 तक की आय होती थी। अब तीन वर्षों से वे बेघर हैं और मुआवजे के नाम पर उन्हें ऊँट के मुँह में जीरा जैसा व्यवहार झेलना पड़ रहा है।

किसानों का आरोप है कि एनएच निर्माण के लिए लगभग 200 परिवारों की जमीन अधिग्रहित की गई लेकिन उसके बदले उन्हें बेहद कम और असंगत मुआवजा दिया गया। उन्होंने कई बार प्रशासन और सरकार से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।

धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि उन्होंने सरकार को कोई औपचारिक ज्ञापन नहीं सौंपा है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि मीडिया के माध्यम से उनकी आवाज सरकार तक पहुंचेगी।

इस पूरे मुद्दे पर जब प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों की ओर से अब तक कोई औपचारिक मांग सरकार को नहीं सौंपी गई है। उन्होंने कहा, नेशनल हाईवे का बजट केंद्र सरकार से आता है, राज्य सरकार इसमें सीधे तौर पर शामिल नहीं होती है। फिर भी यदि किसान मुझसे संपर्क करते हैं, तो मैं व्यक्तिगत रूप से उनकी मदद करने को तैयार हूं।

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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर

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